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    ईरान के टॉप लीडर अयातुल्लाह खुमैनी का यूपी से है खास कनेक्शन, जानिए किस जिले के कौन-से गांव में रहते थे इनके पूर्वज

    Updated: Thu, 19 Jun 2025 01:54 PM (IST)

    Iran Top Leadership has Connection with Uttar Pradesh ईरान के राजा ने सात जनवरी 1978 को ईरान के एक अखबार में खुमैनी को भारतीय एजेंट बता दिया। इसके बाद ईरान की सड़कों पर खुमैनी के पक्ष में आम लोग उतर आए। 16 जनवरी 1979 को राजा ईरान छोड़कर भाग गया। एक फरवरी 1979 को अयातुल्ला खुमैनी 14 वर्ष के बाद वापस ईरान आए।

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    ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह खुमैनी -उत्तराधिकारी शासन कर रहे

    डिजिटल डेस्क, लखनऊ । ईरान और इजरायल के बीच तेज होती जंग के बीच ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह खुमैनी का भारत और उत्तर प्रदेश का कनेक्शन भी सामने आया है। ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह खुमैनी के दादा सैयद अहमद मुसावी का जन्म 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में बाराबंकी के पास किंतूर गांव में हुआ था। अयातुल्लाह खुमैनी के दादा सैय्यद अहमद मुसावी 1830 में किंतूर से ईरान गए थे। उनके पोते ने ईरान की तस्वीर बदल दी और अब उनके उत्तराधिकारी शासन कर रहे हैं।

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    ईरान के पहले सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खुमैनी के पूर्वज बाराबंकी के गांव में रहते थे, खुमैनी के दादा सैयद अहमद मुसावी का जन्म 19वीं सदी की शुरुआत में बाराबंकी के पास किंतूर गांव में हुआ था। वह इस समय वहां के लोगों का शिक्षा के क्षेत्र में आगे लाने को काफी तत्पर थे और लोगों को काफी प्रोत्साहित भी किया। अभी भी उनके खानदान के काफी लोग ईरान में हैं।

    बाराबंकी में खुमैनी के खानदान के डॉक्टर सैयद मोदम्मद रेहान काजमी ने बताया कि अभी भी हमारे काफी रिश्तेदार ईरान में हैं। हमारे चाचा नेहाल काजमी तो दाे-तीन वर्ष पहले ही ईरान से लौटे हैं। भाई आबिद अभी ईरान में ही हैं। ईरान में धर्मशास्त्र की शिक्षा ग्रहण कर रहे आबिद से डॉक्टर काजमी की बुधवार को ही बात हुई तो उन्होंने कहा कि अभी तो यहां थोड़ी शांति है, लेकिन अगर युद्ध भी होता है तो हम शहादत के लिए तैयार हैं। किंतूर गांव के प्रधान मोहम्मद अकरम ने बताया कि हमारी सोच अपने देश भारत के साथ है। वर्तमान में चल रहे युद्ध में हम लोग ईरान के साथ है। अमेरिका व इजरायल बेगुनाहों का खून बहा रहे हैं। किंतूर गांव में रहने वाले आदिल खुमैनी के वंशज बताए जाते है।

    करीब 230 वर्ष पहले 1790 में बाराबंकी के सिरौलीगौसपुर तहसील के किंतूर गांव के धार्मिक परिवार में सैय्यद अहमद मुसावी का जन्म हुआ था। 1830 में 40 वर्ष की उम्र में अहमद मुसावी अवध के नवाब के साथ धर्म यात्रा पर इराक गए थे। इराक से दोनों ईरान पहुंचे और अहमद मुसावी वहीं के एक गांव खुमैन में बस गए। अहमद मुसावी ने अपने नाम के आगे उपनाम हिंदी जोड़ा ताकि यह अहसास बना रहे कि वह हिंदुस्तान से हैं। इसके बाद लोग उन्हें सैय्यद अहमद मुसावी हिंदी के नाम से पहचानने लगे। अहमद मुसावी के परिवार में कई विद्वान हुए। उनके पोते रूहुल्लाह अयातुल्लाह खुमैनी के नाम से मशहूर हुए। पिता की मौत के बाद मां और भाई ने मिलकर उन्हें पाला और पढ़ाया। रूहुल्लाह बहुत तेज थे। उन्होंने धर्म की पढ़ाई के साथ-साथ दुनिया के बड़े दार्शनिकों की किताबें भी पढ़ीं।

    उस समय ईरान में पहलवी खानदान का राज था। राजा जनता पर जुल्म करता था। पश्चिमी देशों के इशारे पर चलता था। खुमैनी ने इसका खुलकर विरोध किया। इसके बाद राजा ने उन्हें देश से निकाल दिया। राजा ने सात जनवरी 1978 को ईरान के एक अखबार में खुमैनी को भारतीय एजेंट बता दिया। इसके बाद ईरान की सड़कों पर खुमैनी के पक्ष में आम लोग उतर आए। 16 जनवरी 1979 को राजा ईरान छोड़कर भाग गया। एक फरवरी 1979 को अयातुल्लाह खुमैनी 14 वर्ष के बाद वापस ईरान आए। इसके बाद 11 फरवरी 1979 में ईरान में इस्लामी सरकार बनी। खामनेई ईरान के पहले सुप्रीम लीडर घोषित किए गए। अब मुसावी की चौथी पीढ़ी ईरान पर शासन कर रही है।

    ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया जिसमें सोरोका मेडिकल सेंटर को निशाना बनाया गया। इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इस हमले की पुष्टि की है। इजरायल के हमले के बाद ईरान ने अपना पलटवार और भीषण कर दिया है। आज ईरान ने इजरायल पर कई बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला बोला है। यहां तक की इजरायल के एक बड़े अस्पताल को भी उसने सीधा निशाना बनाया है। ईरान ने इजरायल के सोरोका मेडिकल सेंटर पर हमला बोला है, जो इजरायल के दक्षिण में एक बड़ा अस्पताल है।