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    Lucknow: घूसकांड में दोषी पाए गए IPS अनिरुद्ध सिंह, रिश्वत मांगने का वीडियो हुआ था वायरल

    By Jagran NewsEdited By: Mohammad Sameer
    Updated: Sat, 17 Jun 2023 12:54 AM (IST)

    Lucknow शासन ने शुक्रवार की शाम को अनिरुद्ध के खिलाफ विभागीय जांच करवाने के आदेश दिए हैं। बिहार निवासी 2018 बैच के आईपीएस अनिरुद्ध पर स्कूल में हुई एक घटना की जांच के दौरान स्कूल संचालक से 20 लाख रुपये मांगने का आरोप है।

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    रिश्वतखोरी मामले में दोषी पाए जाने के बाद शासन ने आईपीएस अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए।

    राज्य ब्यूरो, लखनऊः रिश्वतखोरी के मामले में दोषी पाए जाने के बाद शासन ने आईपीएस अनिरुद्ध सिंह के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। अनिरुद्ध पर वाराणसी के एक नामी स्कूल के संचालक से 20 लाख रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगा था।

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    रिश्वत मांगने की उनका वीडियो 12 मार्च को इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ था। पुलिस मुख्यालय ने इसकी जांच वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को सौंपी थी। पुलिस कमिश्नर की जांच में उन्हें रिश्वत मांगने का दोषी पाया गया है। इसकी रिपोर्ट बीते दिन शासन को भेज दी गई थी।

    जांच के आदेश

    शासन ने शुक्रवार की शाम को अनिरुद्ध के खिलाफ विभागीय जांच करवाने के आदेश दिए हैं। बिहार निवासी 2018 बैच के आईपीएस अनिरुद्ध पर स्कूल में हुई एक घटना की जांच के दौरान स्कूल संचालक से 20 लाख रुपये मांगने का आरोप है। वह वाराणसी के चेतगंज थाने में सहायक पुलिस आयुक्त के पद पर तैनात थे। रिश्वत मांगने की वीडियो वायरल होने के बाद उनका तबादला करके उन्हें बचाने की कोशिश की गई थी।

    मामला शांत न होने पर पुलिस मुख्यालय की तरफ से इसकी जांच वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को सौंपी गई थी। तीन दिनों में जांच रिपोर्ट भी देने के आदेश थे। वाराणसी के कमिश्नर ने डीआइजी क्राइम संतोष कुमार सिंह को मामले का जांच अधिकारी बनाया था, जिनकी रिपोर्ट पर अब अनिरुद्ध के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं।

    वीडियो की फॉरेंसिक जांच के चलते करीब तीन महीने देरी से पूरी हुई जांच की रिपोर्ट बीते दिन शासन को भेजी गई थी।

    आरोप से बरी कर दिया गया था

    पहले हुई जांचों में अनिरुद्ध को आरोप से बरी कर फतेहपुर और फिर मेरठ के एसपी के रूप में तैनात कर दिया गया था। पहली जांच में पुलिस कमिश्नर ने उन्हें दोषी करार दिया था, लेकिन इसके बाद एडीजी स्तर के दो अधिकारियों की जांच में उन्हें बरी कर दिया गया था। उनकी पत्नी भी आईपीएस हैं।

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