'चाइना प्लस वन' की राह पर उत्तर प्रदेश! अमेरिका, जर्मनी-जापान की कंपनियों को लुभाने के लिए तैयार
लखनऊ में इन्वेस्ट यूपी ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए चाइना प्लस वन योजना शुरू की है। इसका उद्देश्य चीन में निवेश करने वाली विदेशी कंपनियों को उत्तर प्रदेश में आकर्षित करना है। इसके लिए विभिन्न देशों में रोड शो और गोल मेज सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे ताकि ऑटोमोबाइल इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा मिल सके।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ाने के लिए इन्वेस्ट यूपी ने चाइना प्लस वन योजना पर काम शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत इन्वेस्ट यूपी उन विदेशी कंपनियों से संपर्क साधेगा जिन्होंने चीन में निवेश कर रखा है, लेकिन टैरिफ वार व बदली राजनैतिक परिस्थितियों के कारण अब वह कंपनियां दूसरे देशों में भी निवेश करने की तैयारी कर रही हैं।
इन्वेस्ट यूपी की कोशिश है कि चीन के अलावा थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया व बांग्लादेश जैसे देशों में निवेश करने वाली कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित किया जाए।
कोविड-19 के बाद से चाइना प्लस वन योजना के तहत विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए भारत में आकर्षित करने की कोशिशें की जा रही हैं। इस संबंध में केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्यों को चाइना प्लस वन योजना पर काम करने के निर्देश दिए थे।
उत्तर प्रदेश में इन्वेस्ट यूपी ने अब इस योजना पर गंभीरता के साथ काम शुरू किया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए स्थापित किए जा रहे औद्योगिक क्षेत्रों, रक्षा औद्योगिक गलियारा, एक्सप्रेसवेज, पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क, इलेक्ट्रिक वाहन, 27 इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग एवं लाजिस्टिक क्लस्टर, सड़क, हवाई व जल परिवहन के अलावा युवा श्रमिकों की उपलब्धता का प्रचार करने की रणनीति इन्वेस्ट यूपी ने तैयार की है।
योजना के तहत इन्वेस्ट यूपी जापान, ताइवान, सऊदी अरब, कुवैत,यमन, बहरीन, संयुक्त अरब अमीरात, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, इटली, यूके, स्पेन व अमेरिका सहित कई देशों में रोड शो व गोल मेज सम्मेलन करेगा। इसके लिए शासन से स्वीकृति मांगी गई है।
इन्वेस्ट यूपी के सीईओ विजय किरन आनंद ने विदेश में रोड शो व निवेशकों के साथ संपर्क करने के लिए अधिकारियों की टीमें भी बनानी शुरू कर दी हैं।
साथ ही अधिकारियों को यह निर्देशित किया गया है कि आटोमोबाइल, एयरोस्पेस, नवीकरणीय ऊर्जा, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रानिक्स, एआइ, रक्षा उद्योग, इंजीनियरिंग, वस्त्र, खाद्य एवं प्रसंस्करण व पर्यटन उद्योग को लेकर उत्तर प्रदेश में उपलब्ध संसाधनों का अध्ययन कर गोल मेज सम्मेलन में शामिल होने की तैयारी की जाए।
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