Invest UP : निवेश बढ़ाने का नया जतन, लाया जाएगा डिक्रिमिनलाइजेशन विधेयक गंभीर अपराधों की श्रेणी में न आने वालों की सजा होगी समाप्त
Effort to increase investment in UP न्यूनतम वेतन न देने के मामले में अधिकतम एक वर्ष श्रम कानून तोड़ने पर तीन वर्ष तक की सजा का प्रविधान है। इसी प्रकार नोटिस बोर्ड पर औद्योगिक नियमों की जानकारी न देने सहित करीब 40 से अधिक मामलों को औद्योगिक अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

मनोज त्रिपाठी, जागरण, लखनऊ : राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ाने के लिए जल्द ही डिक्रिमिनलाइजेशन विधेयक लाया जाएगा। औद्योगिक विकास विभाग व अन्य संबंधित विभागों के साथ मिलकर इन्वेस्ट यूपी डिक्रिमिनलाइजेशन विधेयक का मसौदा तैयार कर रहा है।
इसकी खास बात यह होगी कि सरकारी विभागों से संबंधित औद्योगिक अपराधों की श्रेणी में उद्योगपतियों को मिलने वाली सजा के प्रविधान को समाप्त कर उसके स्थान पर उन्हें आर्थिक दंड दिया जाए।
वर्तमान में उद्योगों से संबंधित राज्य व केंद्र सरकार के विभिन्न कानूनों को तोड़ने पर उद्योगपतियों को तीन माह से लेकर सात वर्ष तक की सजा का प्रविधान है। उप निदेशक कारखाना, लखनऊ अभिषेक सिंह ने बताया कि कारखाना अधिनियम के तहत सुरक्षा के मानकों की अनदेखी करने पर दो वर्ष से लेकर सात वर्ष की सजा का प्रविधान है।
विद्युत अधिनियम के तहत सजा व आर्थिक दंड का प्रविधान
इसी प्रकार बिजली चोरी के मामले में विद्युत अधिनियम के तहत सजा व आर्थिक दंड का प्रविधान है। खतरनाक अपशिष्ट का प्रबंधन सही तरीके से न करने पर छह माह तक की सजा, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने पर पांच वर्ष तक की सजा का प्रविधान है। वहीं न्यूनतम वेतन न देने के मामले में अधिकतम एक वर्ष, श्रम कानून तोड़ने पर तीन वर्ष तक की सजा का प्रविधान है। इसी प्रकार नोटिस बोर्ड पर औद्योगिक नियमों की जानकारी न देने सहित करीब 40 से अधिक मामलों को औद्योगिक अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
उद्योगपतियों को दी जाने वाली सजा होगी समाप्त
इन्वेस्ट यूपी की कोशिश है कि इस प्रकार के औद्योगिक अपराध जो गंभीर अपराधों की श्रेणी में नहीं आते हैं उन्हें लेकर उद्योगपतियों को दी जाने वाली सजा को समाप्त किया जाए। इससे राज्य में औद्योगिक निवेश को लेकर उद्योगपतियों का भरोसा बढ़ेगा।
कानूनी राय लेने के बाद अंतिम निर्णय
फिलहाल श्रम, पावर कारपोरेशन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगरीय निकाय, ग्राउंड वाटर, हाउसिंग, स्टांप एवं पंजीयन, फायर सर्विस, पीडब्ल्यूडी, फूड सेफ्टी सहित करीब 25 विभागों से इस संदर्भ में सुझाव लेकर इन्वेस्ट यूपी और औद्योगिक विकास विभाग डिक्रिमिनलाइजेशन विधेयक का मसौदा तैयार कर रहा है। सरकार के निर्देश पर इस मसौदे को लेकर कानूनी राय लेने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि कौन-कौन से अपराधों को लेकर सजा का प्रविधान समाप्त किया जाए और कौन-कौन से अपराधों में आर्थिक दंड देने का प्रविधान किया जाए।
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