इंटीग्रेटेड टाउनशिप का काम समय में पूरा ना होने पर रद होगा लाइसेंस, ब्लैकलिस्ट कर जब्त की जाएगी बंधक जमीन
इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के तहत अधूरी 28 परियोजनाओं को संबंधित विकासकर्ताओं को अगले तीन से पांच वर्षों में पूरा करना अनिवार्य होगा। निर्धारित स ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के तहत अब तक अधूरी 28 परियोजनाओं का काम संबंधित विकासकर्ताओं को अगले तीन से पांच वर्ष में पूरा करना ही होगा। तय अवधि में काम पूरा नहीं होने पर विकासकर्ता को ब्लैकलिस्ट करने के साथ ही उसकी बंधक भूमि और बैंक गारंटी को जब्त कर लिया जाएगा। संबंधित विकास प्राधिकरण द्वारा अधूरे कार्यों को पूरा कराया जाएगा।
टाउनशिप में ईडब्ल्यूए व एलआइजी श्रेणी के तीन वर्ष से यूं पड़े भवनों को अब विकासकर्ता सरकार द्वारा तय दर पर अपने स्तर से आवंटित कर सकेंगे।वर्ष 2005 और 2014 की इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति के तहत 40 विकासकर्ताओं को लखनऊ, कानपुर, आगरा, मेरठ, मथुरा-वृंदावन, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद आदि शहरों में 25 से 500 एकड़ भूमि पर टाउनशिप विकसित करने के लाइसेंस दिए गए थे।
गौर करने की बात यह है कि इसमें से सिर्फ पांच परियोजनाओं का काम पूरा हुआ जबकि सात में कोई काम ही नहीं हुआ। 28 परियोजनाएं के काम अधूरे हैं। बिल्कुल काम न करने वालों के लाइसेंस निरस्त करने के साथ अधूरी परियोजनाओं के काम को अब तय अवधि में सुनिश्चित करने के लिए पिछले दिनों कैबिनेट द्वारा निर्णय किया गया था।
10 प्रतिशत बंधक भूमि को जब्त करने के निर्देश
इस संबंध में आवास एवं शहरी नियोजन विभाग के प्रमुख सचिव पी. गुरुप्रसाद ने विकास प्राधिकरण उपाध्यक्षों व आवास आयुक्त कॊ शासनादेश जारी कर सात निष्क्रिय परियोजनाएं के लाइसेंस निरस्त कर संबंधित विकासकर्ताओं के स्वामित्व वाली 10 प्रतिशत बंधक भूमि को जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं।न्यूनतम 25 एकड़ की अनिवार्यता को समाप्त कर अधूरी परियोजनाओं को 12.50 एकड़ भूमि पर भी विकसित करने की छूट देते हुए संशोधित डीपीआर व ले-आउट प्लान को तीन माह में स्वीकृति कराने की व्यवस्था की गई है।
विकासकर्ताओं को अधूरी परियोजनाओं को तीन (25 एकड़ तक भूमि पर) से पांच वर्ष में पूरा ही करना होगा। हालांकि, अविकसित क्षेत्र के लिए विकासकर्ता को 80 हजार रुपये प्रति एकड़ समय विस्तार शुल्क देना होगा। विकासकर्ता को टाउनशिप के लिए 80 प्रतिशत भूमि खुद आपसी सहमति के आधार पर जुटानी होगी।
शेष 20 प्रतिशत भूमि सड़क, एसटीपी आदि के लिए सरकार अधिग्रहीत कर उपलब्ध करा सकती है। विकासकर्ता को परियोजना के समय से पूरा करने के संबंध में समय-सारिणी देनी होगी। परियोजना में लेट-लतीफी पर विकासकर्ता को ब्लैकलिस्ट करने के साथ ही लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा और बैंक गारटीं आदि जब्त कर शेष कार्यों को विकास प्राधिकरण कराएंगे। नगरीय विकास शुल्क आदि की भू-राजस्व के बकाए की तरह वसूली की जाएगी

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