Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    45 लाख रुपये वसूले… 7 लाख रुपये लौटाए, बीमा कंपनी की कमाई ने दिखाए चौंकाने वाले आंकड़े

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 04:47 PM (IST)

    लखनऊ में एक बीमा कंपनी के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। कंपनी ने प्रीमियम के रूप में 45 लाख रुपये वसूले, लेकिन दावों के भुगतान में केवल 7 लाख रुपय ...और पढ़ें

    Hero Image

    शिवकुमार कुशवाहा, बहजोई। फसल बीमा योजना का नाम आते ही किसान के मन में सुरक्षा, भरोसे और सहारे की उम्मीद जागती है। खासकर तब जब मौसम की मार मेहनत पर पानी फेर दे, लेकिन बीते वर्ष के आंकड़े इन उम्मीदों से अलग कहानी कहते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जिन किसानों ने यह सोचकर प्रीमियम दिया कि संकट की घड़ी में योजना ढाल बनेगी। उन्हें वास्तविक लाभ बहुत सीमित दायरे में ही मिला। आंकड़े बताते हैं कि बीमा का दायरा तो व्यापक रहा, पर राहत कुछ ही किसानों तक सिमट गई। यही विरोधाभास किसानों के भरोसे को सबसे अधिक प्रभावित करता है और योजना की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करता है।

    जिले के आंकड़े बोलते हैं कि रबी 2024-25 मौसम के फसल बीमा के कुल 5909 बीमित किसानों में से केवल 416 किसानों को ही क्षतिपूर्ति मिल सकी, जो कुल संख्या का लगभग सात प्रतिशत है।

    इसी तरह, जमा प्रीमियम और भुगतान की तुलना करें तो 45,73,218 रुपये के सापेक्ष किसानों को सिर्फ 7,69,292 रुपये ही मिले, यानी करीब 17 प्रतिशत। यह अंतर बताता है कि बीते वर्ष योजना का लाभ सीमित दायरे में सिमटा रहा, जिसका सीधा असर किसानों के भरोसे और सहभागिता पर पड़ा।

    बता दें कि बीमित किसानों में से 5,814 किसान ऋणी थे। जिनका बीमा बैंक के माध्यम से स्वतः कर दिया गया। जबकि केवल 95 गैर ऋणी किसानों ने स्वेच्छा से योजना में पंजीकरण कराया। यह स्थिति दर्शाती है कि योजना में सहभागिता मुख्य रूप से ऋण से जुड़ी बाध्यता पर आधारित रही, न कि किसानों की स्वेच्छिक रुचि पर।

    बीते वर्ष बीमा के दायरे में कुल 1,377 हेक्टेयर कृषि भूमि आई और 11,76,55,591 रुपये की बीमित धनराशि तय की गई। इसके लिए कुल 45,73,218 रुपये का प्रीमियम जमा हुआ, जिसमें किसानों का अंश 19,02,658 रुपये रहा, जबकि केंद्र और राज्य सरकार ने 13,35,280-13,35,280 रुपये का योगदान दिया। मौसमीय कारणों से हुए नुकसान के बाद जब क्षतिपूर्ति की बारी आई, तो जिले के सिर्फ 416 किसानों को ही लाभ मिला और कुल 769292 रुपये का भुगतान किया गया।

    फसल बीमा योजना का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को आर्थिक सुरक्षा देना है। इसको लेकर किसानों को जागरूक किया जाता है जो किसान अपनी फसलों का बीमा करते हैं, अगर उन्हें कोई नुकसान होता है तो निश्चित तौर पर नियमों के आधार पर उन्हें बीमा की क्षति पूर्ति भी दिलाई जाती है, पिछले वर्ष भी दिलाई गई है।

    -अरुण कुमार त्रिपाठी, उप कृषि निदेशक, संभल।

    31 दिसंबर 2025 तक कराएं रबी फसलों का बीमा, आपदा में मिलेगी आय की सुरक्षा

    जनपद में रबी, 2025-26 मौसम के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत फसल बीमा कराने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। योजना के तहत गेहूं, लाही सरसों और आलू फसलों को अधिसूचित किया गया है। बदलती मौसमीय परिस्थितियों, पाला, ओलावृष्टि और अन्य दैवीय आपदाओं की आशंका को देखते हुए यह योजना किसानों की आय सुरक्षा के लिए लागू की गई है।

    ऋणी और गैर ऋणी दोनों श्रेणी के किसान इस योजना के अंतर्गत फसल बीमा करा सकते हैं। ऋणी किसानों का बीमा संबंधित बैंक शाखाओं के माध्यम से किया जा रहा है, जबकि गैर ऋणी किसानों को स्वयं आवेदन कर बीमा कराना होगा। जो ऋणी किसान योजना में सम्मिलित नहीं होना चाहते हैं, उन्हें 24 दिसंबर 2025 तक अपनी बैंक शाखा को लिखित सूचना देना अनिवार्य है।

    जनपद में इफको टोकियो जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटिड योजना की कार्यान्वयन एजेंसी है। आपदा की स्थिति में बीमित किसान 72 घंटे के भीतर टोल फ्री नंबर 14447, नजदीकी बैंक शाखा, बीमा कम्पनी कार्यालय या जिला कृषि अधिकारी संभल कार्यालय में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

    इस बार बीमा की रफ्तार सुस्त, गैर ऋणी किसान अब भी योजना से दूर

    रबी, 2025-26 मौसम में जनपद संभल में फसल बीमा की प्रगति फिलहाल धीमी बनी हुई है, क्योंकि अब तक केवल 1551 किसानों का ही बीमा हो सका है और ये सभी किसान बैंक से ऋण लेने वाले हैं, जबकि गैर ऋणी किसानों में से अभी तक किसी ने भी स्वेच्छा से फसल बीमा नहीं कराया है, पिछले वर्ष की तुलना में अब तक सिर्फ 241 हेक्टेयर क्षेत्रफल का ही बीमा हुआ है, जिसमें किसानों, केंद्र सरकार और राज्य सरकार की संयुक्त हिस्सेदारी से कुल 9,47,386 रुपये का प्रीमियम जमा किया गया है, आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि गैर ऋणी किसानों की भागीदारी न के बराबर है और योजना का लाभ मुख्य रूप से ऋणी किसानों तक सीमित बना हुआ है।