यूपी में सभी जिलों के DM को दिए गए निर्देश, यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्रों पर बढ़ाई जाए पुलिस फोर्स
यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्रों पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने के निर्देश दिए गए हैं। महाकुंभ-2025 के कारण पुलिस की कमी थी लेकिन अब केंद्रों संकलन केंद्रों और मूल्यांकन स्थलों पर सुरक्षा बढ़ाई जाएगी। निजी स्कूलों में शिक्षकों को ईपीएफ व बीमा सुविधा देना अनिवार्य किया गया है। कई स्कूल मानदेय नकद दे रहे हैं जो नियमों के खिलाफ है। सख्ती से 13186 रुपये न्यूनतम वेतन लागू किया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्रों पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात निर्देश दिए गए हैं। कई जिलों में परीक्षा के दौरान पुलिस फोर्स न पहुंचने की शिकायत मिलने के बाद सख्ती बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं।
परीक्षा के बाद उत्तर पुस्तिकाओं को परीक्षा केंद्रों से संकलन केंद्रों तक पुलिस की निगरानी में पहुंचाए जाने की व्यवस्था की गई है। वहीं सचल दस्ते के साथ भी पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाने के आदेश हैं, जिसका पालन नहीं हो पा रहा।
अपर मुख्य सचिव, माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार की ओर से सभी जिलों के डीएम को निर्देश दिए हैं कि अब यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात की जाए। अभी तक महाकुंभ-2025 के कारण पुलिस बल कम होने की वजह से पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था होने में कठिनाई हो रही थी।
अब महाकुंभ से वापसी के बाद परीक्षा केंद्रों, उत्तर पुस्तिका संकलन केंद्रों, सचल दस्तों व मूल्यांकन केंद्रों पर पर्याप्त पुलिस फोर्स की तैनाती की जाए। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए 8,140 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं और करीब 54 लाख परीक्षार्थी पंजीकृत हैं।
निजी स्कूलों को शिक्षकों को देनी होगी ईपीएफ व बीमा की सुविधा
वहीं, निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) और जीवन बीमा की सुविधा देनी ही होगी। अभी तमाम विद्यालय शिक्षकों को यह सुविधा नहीं दे रहे। यही नहीं उनका मानदेय भी बैंक खाते में नहीं भेजा जा रहा। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह की ओर से अपर मुख्य सचिव, माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार को पत्र लिखकर अव्यवस्था की जानकारी दिए जाने के बाद विभाग सख्त हो गया है।
अब इसकी सभी जिलों में जांच कराई जाएगी। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेन्द्र देव की ओर से सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि वह 10 अगस्त 2001 को जारी शासनादेश का सख्ती के साथ पालन कराएं। शिक्षकों को कुशल श्रमिकों को दिए जाने वाले मानदेय से कम मानदेय किसी भी कीमत पर न दिया जाए।
कुशल श्रमिकों को 13,186 रुपये मासिक न्यूनतम मानदेय देने की व्यवस्था है। फिर भी कई विद्यालय इससे कम मानदेय ही दे रहे हैं। उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी का कहना है कि निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों का शोषण किया जा रहा है।
उनसे कार्य तो काफी लिया जाता है, लेकिन मानदेय कम दिया जाता है। बैंक खाते में मानदेय भेजने की व्यवस्था के बावजूद नकद मानदेय दिया जा रहा है। वहीं ईपीएफ व बीमा की सुविधा भी नहीं मिल रही। ऐसे में डीआइओएस अगर सख्ती करेंगे तो इन शिक्षकों को बड़ी राहत मिलेगी।
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