Action Against PFI: घुसपैठियों के लिए खाड़ी देशों से भी हो रही थी फंडिंग, ATS ने ऐसे किया पर्दाफाश
एटीएस के निशाने पर दिल्ली व बंगाल के पतों पर संचालित कई एनजीओ भी हैं जिनके माध्यम से विदेश से फंडिंग की जा रही थी। सिंडीकेट के पीछे आतंकी संगठनों की भी भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता। एटीएस ऐसे कई बिंदुओं पर पकड़े गए आरोपित बांग्लादेश के निवासी आदिल मुहम्मद अशरफी उर्फ आदिलुर्रहमान देवबंद निवासी शेख नबीबुल हक व अबु हुरैरा गाजी से नए सिरे से पूछताछ करेगी।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। बांग्लादेशियों व रोहिंग्या की गहरे षड्यंत्र के तहत घुसपैठ करा रहे सिंडीकेट को बीते तीन वर्षां में 20 करोड़ रुपये की फंडिंग की गई है। एटीएस अब इससे पूर्व हुई विदेशी फंडिंग की छानबीन करने के साथ ही कई बैंक खातों की भी पड़ताल कर रही है। सूत्रों का कहना है कि खाड़ी देशों से भी फंडिंग की जा रही थी।
एटीएस के निशाने पर दिल्ली व बंगाल के पतों पर संचालित कई एनजीओ भी हैं, जिनके माध्यम से विदेश से फंडिंग की जा रही थी। सिंडीकेट के पीछे आतंकी संगठनों की भी भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता। एटीएस ऐसे कई बिंदुओं पर पकड़े गए आरोपित बांग्लादेश के निवासी आदिल मुहम्मद अशरफी उर्फ आदिलुर्रहमान, देवबंद (सहारनपुर) निवासी शेख नबीबुल हक व अबु हुरैरा गाजी से नए सिरे से पूछताछ करेगी।
एटीएस ने बनाया था ऐसे प्लान
एटीएस की विशेष कोर्ट ने तीनों आरोपितों की दस दिनों की पुलिस रिमांड स्वीकृत की है। रिमांड अवधि 14 अक्टूबर की सुबह 10 बजे से आरंभ होगी। एटीएस की छानबीन में सामने आया है कि घुसपैठ करा रहे सिंडीकेट में अलग-अलग दायित्व बांटे गए थे। गिरोह में शामिल दिल्ली निवासी अब्दुल अव्वल ने दिल्ली, असम व उत्तर प्रदेश के कुछ नागरिकों के आधार कार्ड हासिल कर उनकी मदद से ऑनलाइन खाते खोलता है।
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ऐसे की जाती थी फंडिंग
दिल्ली का निवासी अब्दुल गफ्फार विदेशी से आई रकम को उन खातों की मदद से अवैध ढंग से निकालता था। जबकि बंगाल निवासी अबु सालेह द्वारा संचालित एनजीओ के एफसीआरए खातों में विदेश के विभिन्न संगठनों से फंडिंग कराता था। उस रकम को अब्दुल्ला गाजी व अन्य सदस्यों के द्वारा बांग्लादेशी व रोहिंग्या घुसपैठियों की मदद के लिए पहुंचाया जाता था।
हवाला के जरिए रकम एक सक्रिय सदस्य नजिबुल शेख तक पहुंचाई जाती थी। घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेजों की मदद से उत्तर प्रदेश के अलावा मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु व अन्य राज्यों में शरण दिलाई जा रही थी। घुसपैठ कर आए कई बांग्लादेशी नागरिकों के नाम भी सामने आए हैं।
एटीएस को मददगारों की भी तलाश पकड़ा गया आरोपित
आदिलुर्रहमान बांग्लादेश सीमा पर अपने सहयोगी विक्रम के माध्यम से घुसपैठ करा रहा था। एटीएस अब गिरोह को कूटरचित दस्तावेज बनवाने में मददगार रहे लोगों की भी छानबीन कर रही है। दिल्ली की दो एनजीओ को लेकर भी छानबीन तेज की गई है। सिंडीकेट से जुड़े अन्य सदस्योें के पकड़े जाने पर और बड़े राज सामने आएंगे। सिंडीकेट के देवबंद कनेक्शन की भी गहनता से छानबीन की जा रही है। बंगाल निवासी शेख नबीबुल लंबे समय से देवबंद में रहकर सेंट व टोपी की दुकान चलाता है। उसके तार हवाला कारोबारियों से भी जुड़े हैं।
महिलाओं को बेंच भी रहा था गिरोह
गिरोह महिलाओं की तस्करी भी कर रहा था। आदिलुर्रहमान बीते दिनों अपने सहयोगी विक्रम की मदद से बांग्लादेश की एक महिला को भी घुसपैठ कराकर लाया था। महिला का छद्म नाम से आधार कार्ड बनवाने के बाद उसे इब्राहिम नाम के व्यक्ति को बेंच दिया गया था। एटीएस इसे लेकर भी छानबीन कर रही है। उल्लेखनीय है कि एटीएस ने पूर्व में भी कई बांग्लादेशी घुसपैठियों को पकड़ा था। तब जांच में सामने आया था कि बांग्लादेशी व रोहिंग्या महिलाओं की पहचान बदलकर उनके भारतीय पासपोर्ट बनवाकर उन्हें विदेश भी भेजा जा रहा है।
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