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    यूपी में एक्सप्रेसवे किनारे उद्योगों की बहार, योगी सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए 20 हजार भूस्वामियों को दिया मुआवजा

    Updated: Mon, 19 May 2025 09:29 PM (IST)

    योगी सरकार एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे रही है। सरकार ने गंगा बुंदेलखंड आगरा-लखनऊ पूर्वांचल और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के किनारे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाने के लिए लगभग 3827 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया है। इस परियोजना पर 5500 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए हैं और लगभग 20 हजार भूस्वामियों को मुआवजा दिया गया है। इस योजना से राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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    योगी सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए 20 हजार भूस्वामियों को दिया मुआवजा

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक्सप्रेसवेज को न केवल सुलभ परिवहन का साधन बना रही है, बल्कि इन्हें औद्योगिक विकास के मजबूत आधार के रूप में भी स्थापित कर रही है। योगी सरकार ने गंगा, बुंदेलखंड, आगरा-लखनऊ, पूर्वांचल और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के किनारे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने की योजना के तहत अब तक 3827 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण और क्रय कर लिया है, जो अनुमोदित भूमि का लगभग 70 प्रतिशत है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर सरकार ने 5500 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि खर्च की है, जिसमें स्टांप और निबंधन शुल्क भी शामिल हैं।

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    योगी सरकार की यह पहल उत्तर प्रदेश को ‘उद्यम प्रदेश’ के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इन औद्योगिक गलियारों में वेयरहाउस, लॉजिस्टिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य प्रसंस्करण, दवा और आईटी जैसे उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा। यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) के अनुसार, ये कॉरिडोर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

    20 हजार भूस्वामियों को मिला मुआवजा

    इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण और क्रय की प्रक्रिया में लगभग 20 हजार भूस्वामियों को मुआवजा प्रदान किया गया है। यह पहल न केवल औद्योगिक विकास को गति दे रही है, बल्कि स्थानीय भूस्वामियों को भी आर्थिक लाभ पहुंचा रही है।

    योगी सरकार की एक्सप्रेसवे आधारित औद्योगिक कॉरिडोर योजना न केवल उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है, बल्कि लाखों लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित कर रही है। यह परियोजना स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और राज्य को औद्योगिक विकास के नए शिखर पर ले जाने का एक सशक्त प्रयास है। योगी सरकार की इस योजना से अगले 10 वर्षों में लाखों नौकरियां सृजित होने का अनुमान है।

    भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी

    गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारों के लिए अब तक 1043 हेक्टेयर से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया गया है, जिसमें 998 हेक्टेयर क्रय और 45 हेक्टेयर से अधिक का पुनर्ग्रहण शामिल है। यह अनुमोदित भूमि का 70 प्रतिशत से अधिक है। इसके लिए सरकार ने 1882 करोड़ रुपये का मुआवजा वितरित किया है, जिससे 5415 भूस्वामियों को लाभ हुआ है। गंगा एक्सप्रेसवे के 11 स्थानों पर औद्योगिक कॉरिडोर विकसित किए जा रहे हैं, जो 12 जिलों को जोड़ेंगे।

    बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के लिए 1528 हेक्टेयर से अधिक भूमि का अधिग्रहण किया गया है, जिसमें 1475 हेक्टेयर क्रय और 53 हेक्टेयर से अधिक का पुनर्ग्रहण शामिल है। यह अनुमोदित भूमि का लगभग 80 प्रतिशत है। इसके लिए 1655 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, और 3783 भूस्वामियों को मुआवजा मिला है। बांदा और जालौन जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक गलियारे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे।

    पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लिए 873 हेक्टेयर भूमि का क्रय और पुनर्ग्रहण किया गया है, जो अनुमोदित भूमि का लगभग 60 प्रतिशत है। इसके लिए 1365 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और 6632 भूस्वामियों को मुआवजा मिला है। लखनऊ, बाराबंकी, सुल्तानपुर, आजमगढ़ और गाजीपुर जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक कॉरिडोर विकसित होंगे।

    गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के लिए 168 हेक्टेयर से अधिक भूमि का क्रय और पुनर्ग्रहण किया गया है, जो अनुमोदित भूमि का 80 प्रतिशत से अधिक है। इसके लिए 305 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं, और 1768 भूस्वामियों को मुआवजा प्रदान किया गया है। इस एक्सप्रेसवे के किनारे दो औद्योगिक केंद्र स्थापित होंगे, जो गोरखपुर और आजमगढ़ को लाभ पहुंचाएंगे।

    आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे बना औद्योगिक शहरों की नींव

    आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे 212 हेक्टेयर से अधिक भूमि का क्रय और पुनर्ग्रहण किया गया है, जिस पर 300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए हैं। लगभग 1400 भूस्वामियों को मुआवजा प्रदान किया गया है। इस एक्सप्रेसवे के किनारे फिरोजाबाद, आगरा, इटावा, कन्नौज जैसे क्षेत्रों में पांच औद्योगिक शहर विकसित होंगे।