Indian Railways : कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए रेलवे ने लागू की ई-रेफरल प्रणाली, प्रक्रिया हो गई डिजिटल और पारदर्शी
Indian Railways सभी इंपैनल्ड निजी अस्पतालों में कैशलेस उपचार तीन परिस्थितियों में प्रदान किया जाएगा। आपात स्थिति में कैशलेस उपचार के लिए सीधे इंपैनल्ड अस्पताल जाना होगा वहां यूएमआइडी कार्ड दिखाकर ओटीपी दिखाते ही बिना भुगतान के उपचार प्रारंभ होगा। यूनिक मेडिकल पहचान पत्र (यूएमआइडी) कार्ड और पंजीकृत मोबाइल नंबर के माध्यम से बिना किसी कागजी प्रक्रिया के उपचार करा सकते हैं।

जागरण संवाददाता, लखनऊ : उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल प्रशासन ने अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों व उनके आश्रितों के लिए निजी अस्पतालों में कैशलेस उपचार सुविधा को अब और आसान बना दिया है। उनके उपचार के लिए रेलवे ने ई -रेफरल प्रणाली को लागू किया है। इससे रेफरल की प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी हो गई है।
पेंशनर्स एवं कर्मचारी अपने यूनिक मेडिकल पहचान पत्र (यूएमआइडी) कार्ड और पंजीकृत मोबाइल नंबर के माध्यम से बिना किसी कागजी प्रक्रिया के उपचार करा सकते हैं। यदि चिकित्सक उचित समझें तो एचएमआइएस मोबाइल एप के माध्यम से डिजिटल रेफरल लेटर जारी किया जाएगा। लाभार्थी मनचाहे अधिकृत निजी अस्पताल में इलाज करवा सकते हैं।
उत्तर रेलवे के मंडलीय कार्यालय के सभागार में डीआरएम सुनील कुमार वर्मा, एडीआरएम नीलिमा सिंह और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. संगीता सागर ने सभी अधिपत्रित (इंपैनल्ड) अस्पतालों के प्रतिनिधियों की बैठक में यह जानकारी दी। डा.सागर ने बताया कि एसजीपीजीआइ में कैशलेस उपचार की सुविधा दी जा रही है।
सभी इंपैनल्ड निजी अस्पतालों में कैशलेस उपचार तीन परिस्थितियों में प्रदान किया जाएगा। आपात स्थिति में कैशलेस उपचार के लिए सीधे इंपैनल्ड अस्पताल जाना होगा, वहां यूएमआइडी कार्ड दिखाकर ओटीपी दिखाते ही बिना भुगतान के उपचार प्रारंभ होगा।
अस्पताल रेलवे अधिकारियों को 24 घंटे के भीतर सूचित करेगा। इसी तरह रेफरल के माध्यम से भी कैशलेस उपचार दिया जा रहा है। इसके लिए अपने निकटतम रेलवे अस्पताल के चिकित्सक से परामर्श लें। वहीं, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, दुर्घटना, अधिक रक्तस्राव, सांस लेने में कठिनाई, बिजली का झटका, जहर सेवन या आपातकालीन प्रसूति की स्थिति में सीधा निजी अस्पताल जाकर भुगतान देकर उपचार कराया जा सकता है।
सीजीएचएस या अस्पताल द्वारा निर्धारित न्यूनतम दर के आधार पर इसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी। कैंसर रोगी टाटा मेमोरियल जैसे शीर्ष संस्थानों में बिना रेफरल के प्रारंभिक जांच की सुविधा ले सकते हैं। एक बार रेफरल मिलने पर 90 दिनों तक छह बार परामर्श लिया जा सकता है।
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