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    Lucknow: पेरिस की नौकरी छोड़ देश-विदेश में फैला दी खुशबू, प‍िता के व्‍यवसाय को गौरव ने दी नई ऊंचाई

    By Vivek RaoEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Fri, 04 Nov 2022 07:40 AM (IST)

    Lucknow News इंडिया फूड एक्सपो में एरोमैटिक एंड एलाइड केमिकल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर गौरव मित्तल ने अपने व्यवसाय को दिया वैश्विक रूप। आइआइटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक लंदन से एमबीए की डिग्री और फ्रांस से परफ्यूमरी में मास्टर डिग्री हासिल की।

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    India Food Expo: लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में लगे इंडिया फूड एक्सपो

    लखनऊ, [विवेक राव]। आइआइटी कानपुर से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक, लंदन से एमबीए की डिग्री और फ्रांस से परफ्यूमरी में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद पेरिस में करोड़ों रुपये के पैकेज की नौकरी करते थे उद्यमी गौरव मित्तल, लेकिन नौकरी छोड़कर वह अपनी माटी से जुड़ते हुए परिवार के व्यवसाय को थामकर नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया है।

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    लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में लगे इंडिया फूड एक्सपो में बरेली के युवा उद्यमी गौरव मित्तल अपनी कंपनी एरोमैटिक एंड एलाइड केमिकल्स में कई तरह की शहद, हर्बल टी, परफ्यूम और तनाव दूर करने वाली औषधि तैयार कर कई विदेशी कंपनियों को टक्कर दे रहे हैं। उनकी कोशिश और कामयाबी कई युवा उद्यमियों को राह दिखा रही है।

    कंपनी में बनती हैं यह चीजें 

    एरोमैटिक एंड एलाइड केमिकल्स 1977 में शुरू किया गया था। यह कंपनी प्राकृतिक इत्र, मिंट आयल, प्राकृतिक तेल, प्राकृतिक सुगंध, अरोमा थेरेपी करियर आयल, हर्बल अर्क, कई तरह के शहद आदि बनाने का काम करती थी। कंपनी के संस्थापक गौरव के पिता बृजेश मित्तल ने किया था। जिन्होंने उत्तर भारत में सबसे पहले पामारोसा, जमरोसा, लेमनग्रास, मिंटस् के पौधे से तेल निकालने के लिए सबसे पहले यूनिट बैठाया था।

    प‍िता के न‍िधन के बाद पेर‍िस से लौटे 

    वर्ष 2010 में पिता के निधन के बाद गौरव मित्तल ने पेरिस में नौकरी छोड़ कर अपने पारिवारिक व्यवसाय को नई ऊंचाई दी है। उनकी कंपनी के अधिकांश उत्पाद कृषि आधारित हैं, इसके लिए वह न केवल रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर जोर दे रहे हैं, साथ ही उत्तर प्रदेश ही नहीं उत्तराखंड में किसानों से जुड़कर उन्हें लेमन ग्रास, गुलाब, तुलसी, मिंट सहित अन्य औषधि फसलों को उगाने और उनकी मार्केटिंग करने का तरीका भी बता रहे हैं।

    क‍िसानों को दी यह नसीहत 

    दो साल पहले उन्होंने शहद, हर्बल टी, परफ्यूम और अन्य उत्पादों को ला मांक के नाम से कई देशों में उतारा है। इसका निर्यात भी हो रहा है। कई विदेशी कंपनियों को वह इससे टक्कर दे रहे हैं। गौरव ने दैनिक जागरण को बताया कि किसानों को परंपरागत खेती छोड़कर इन औषधि फसलों को करना चाहिए। इसकी मांग बहुत है। इससे किसानों की आय कई गुना बढ़ सकती है। अपनी कंपनी के एक उत्पाद अरोमा थेरेपी करियर आयल के विषय में बताया कि तनाव मुक्त करने के लिए इस तरह की तकनीकी कनाडा में बहुत उपयोग की जा रही है लेकिन भारत की यह विधा होकर भी लोग भूले हुए हैं।

    जंगलों से एकत्र कर रहे शहद

    गौरव मित्तल कई तरह के शहद बना रहे हैं। इसमें अलग से तुलसी, गुलाब, हल्दी, पान, नींबू के फ्लेवर प्रमुख है। शहद के लिए उनकी कंपनी उत्तराखंड के जंगलों में लोगों से संपर्क करती हैं। जहां से वाइल्ड हनी लेते हैं। इसके लिए उनकी कंपनी वहां के लोगों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं। गौरव मित्तल ने कहना है कि उत्तर प्रदेश की मिट्टी और मौसम हर तरह के औषधि पौधों को उगाने के अनुकूल है।

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