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    कर्मचारियों के नाम पर खरीदी थीं BBD समूह ने जमीनें, आयकर विभाग ने जब्त कीं सौ करोड़ की 20 बेनामी संपत्तियां

    Updated: Sat, 05 Jul 2025 12:05 PM (IST)

    Income Tax Department Survey in Lucknow समूह की जांच में सामने आया कि बीबीडी समूह के संचालकों ने अपने कर्मचारियों व करीबियों के नाम भूखंड खरीदे थे जिनकी रजिस्ट्री के अनुसार कीमत लगभग 20 करोड़ रुपये है। भूखंड वर्ष 2005 से 2015 के बीच खरीदे गए थे। यह सभी अब प्राइम लोकेशन पर हैं।

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    आयकर ने बीबीडी समूह की 20 बेनामी संपत्तियां की जब्त

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : आयकर विभाग ने बाबू बनारसी दास (बीबीडी) समूह की 20 बेनामी संपत्तियां जब्त की हैं। इनमें लखनऊ में अलग-अलग नामों से खरीदे गए भूखंड शामिल हैं। जब्त भूखंडों की वर्तमान कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। बीबीडी समूह एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक व इंफ्रास्ट्रक्चर समूह है।

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    आयकर विभाग ने लगभग चार वर्ष पहले बीबीडी समूह की बेनामी संपत्तियों को लेकर जांच शुरू की थी। आयकर विभाग ने बीबीडी समूह की लखनऊ में फैजाबाद रोड की संपत्तियां जब्त की है। सूत्रों का कहना है कि उत्तरधौना, जुग्गौर, तेरहखास, सरायशेख व सेमरा गांव में भूखंड वर्ष 2005 से वर्ष 2015 के बीच खरीदे गए थे। यह सभी अब प्राइम लोकेशन पर हैं।

    समूह की जांच में सामने आया कि बीबीडी समूह के संचालकों ने अपने कर्मचारियों व करीबियों के नाम भूखंड खरीदे थे, जिनकी रजिस्ट्री के अनुसार कीमत लगभग 20 करोड़ रुपये है। आयकर विभाग ने लखनऊ के सभी उप निबंधक कार्यालयों को इन संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाए जाने के लिए पत्र भी लिखा है।

    बीबीडी यूनिवर्सिटी के पास कुछ भूखंडों पर निर्माण कार्य भी कराया जा रहा है। जांच में सामने आया है कि इन संपत्तियों के वास्तविक लाभार्थी पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अखिलेश दास की पत्नी अलका दास व बेटे विराज सागर दास के अलावा मेसर्स विराज इंफ्राटाउन प्राइवेट लिमिटेड व हाईटेक प्रोटेक्शन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड हैं। आयकर जल्द इन संपत्तियों के फाइनल अटैचमेंट की कार्रवाई को आगे बढ़ाएगा। बीबीडी समूह की कुछ अन्य बेनामी संपत्तियां भी जब्त करने की तैयारी है।

    आयकर विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इन संपत्तियों की रजिस्ट्री अन्य नामों पर की गई थी, लेकिन निवेश और नियंत्रण का संबंध इन ही प्रमुख व्यक्तियों व कंपनियों से जुड़ा हुआ पाया गया। यह कार्रवाई आयकर विभाग के बेनामी संपत्ति सेल की निगरानी में हुई, और इसे बड़ी कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है।