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    UP News: 11 जिलों के सीएमओ ब्लैक लिस्टेड कंपनी से खरीद रहे थे लैपटाप व प्रिंटर, कार्रवाई की तैयारी

    By Vikas MishraEdited By:
    Updated: Mon, 12 Sep 2022 09:19 PM (IST)

    नियमानुसार वर्क आर्डर जारी करने से पहले टेंडर का आडिट कराया जाना चाहिए था लेकिन वह नहीं किया गया। यही नहीं प्रतापगढ़ में तो मेसर्स एस टेडर्स को आडिटर ...और पढ़ें

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    एनएचएम निदेशक ने डीएम को पत्र लिखकर जांच के दिए आदेश

    लखनऊ, राज्य ब्यूरो। प्रदेश में 11 जिलों में मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने ब्लैक लिस्टेड कंपनियों से लैपटाप व प्रिंटर खरीदने के लिए आर्डर दिया गया है। लाखों रुपये की बंदरबांट के लिए हुए इस खेल के सामने आने के बाद इन जिलों में खलबली मची हुई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय की ओर से इन जिलों के जिलाधिकारियों व जिला आडिट कमेटी के अध्यक्षों को पत्र लिखकर मामले की जांच करने और टेंडर का आडिट किए बिना ही क्रय आदेश जारी करने पर हैरानी जताई है। मामले की जांच कर तत्काल वर्क आर्डर रद करने और मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं।

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    प्रदेश में इस वर्ष सहारनपुर, हापुड़, रामपुर, महोबा, कौशांबी, प्रतापगढ़, अंबेडकर नगर, कानपुर नगर, प्रयागराज, अमरोहा व महाराजगंज में सीएमओ कार्यालय द्वारा लैपटाप व प्रिंटर खरीदने के लिए जेम पोर्टल के माध्यम से मेसर्स एस ट्रेडर्स व मेसर्स श्री तिरुपति इंफोटेक का चयन किया गया। जबकि वर्ष 2020-21 में उन्नाव में आडिटर द्वारा इन दोनों कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया गया था। फिर इन 11 जिलों में नियमों को दरकिनार कर इन दोनों कंपनियों का चयन किया गया।

    नियमानुसार वर्क आर्डर जारी करने से पहले टेंडर का आडिट कराया जाना चाहिए था, लेकिन वह नहीं किया गया। यही नहीं, प्रतापगढ़ में तो मेसर्स एस टेडर्स को आडिटर की नकारात्मक रिपोर्ट के बावजूद मिलीभगत कर वर्क आर्डर दे दिया गया। अब अनियमितता सामने आने के बाद निर्देश दिए गए हैं कि जो भी वर्क आर्डर जारी किए गए हैं, उन्हें रोका जाए और फिर से आडिट कराया जाए। मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।