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    Newborn Baby Care: जन्‍म के समय शिशु का न रोना खतरे की घंटी, जा सकती है जान; गर्भावस्‍था से प्रसव तक सर्तकता जरूरी

    By Rafiya NazEdited By:
    Updated: Wed, 13 Oct 2021 10:50 AM (IST)

    जन्म के समय शिशु की चुप्पी उसके जीवन के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। ऐसे में समय पर ध्यान देना जरूरी है। महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में रोजाना ऐसे बच्चे भर्ती होते हैं कभी-कभी समय से उपचार न मिल पाने पर उनकी जान भी चली जाती है।

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    विशेषज्ञों के मुताबिक जन्‍म के समय बच्‍चे का रोना बेहद जरूरी।

    हरदोई, जागरण संवाददाता। जन्म के समय शिशु का न रोना उसके जीवन के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। ऐसे में प्रसव करा रहे डॉक्‍टर को भी समय पर ध्यान देना जरूरी है। महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में रोजाना ऐसे बच्चे भर्ती होते हैं, कभी-कभी समय से उपचार न मिल पाने पर उनकी जान भी चली जाती है। हर महिला का सपना होता है कि वह मां बने, लेकिन गर्भधारण करने से लेकर प्रसव तक बहुत ही सावधानी बरतनी होती है। गर्भवती महिलाओं के परामर्श से लेकर उपचार तक की सभी सुविधाएं सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध हैं, लेकिन स्वजन की लापरवाही के चलते न तो उनकी जांचे हो पाती हैं और न ही उपचार मिल पाता है। ऐसे में प्रसव के समय मां और शिशु दोनों के लिए खतरा बना रहता है। जन्म के समय कभी-कभी शिशु के मुंह में पानी चला जाता है और कई समस्याएं होती है, जिस कारण शिशु नहीं रोता है और समय से उसे इलाज न मिल पाने के कारण उसकी जान को खतरा बढ़ जाता है। जन्म के समय शिशु का रोना बेहद जरूरी होता है।

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    बढ़ रहा मृत्यु दर का आंकड़ा : महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में नौ माह में लगभग 62 शिशुओं की इलाज के दौरान मौत हुई। इसमें बहुत से ऐसे बच्चे थे, जो जन्म के समय नहीं रोए और उनके शरीर को पूरी आक्सीजन नहीं मिल सकी। वहीं बहुत से ऐसे बच्चे भी हैं, जिनका कम समय में ही जन्म हो गया।

    डाक्टर की सलाह: हरदोई महिला अस्‍पताल के बाल रोग विशेषज्ञ आशीष वर्मा ने बताया कि गर्भधारण करते ही महिला को अपनी जांच करानी चाहिए, जांच में अगर खून की कमी होती है तो उसे हरी सब्जियां और दवाओं का सेवन करना चाहिए। साथ ही समय-समय पर अल्ट्रासाउंड भी कराना चाहिए। संस्थागत प्रसव से जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे।