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    एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम, UP में एनीमिया की पहचान के लिए हिमोग्लोबीनोमीटर देने के निर्देश

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 03:59 PM (IST)

    Anemia Free India Program प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य विभाग में हर स्तर पर डिजिटल हिमोग्लोबीनोमीटर और उनकी स्ट्रिप उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। भारत में एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है इससे 40% से अधिक आबादी ग्रस्त है।

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    एनीमिया की पहचान के लिए हिमोग्लोबीनोमीटर देने के निर्देश

    राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश में अब महिलाओं में एनीमिया की पहचान आसान होने जा रही है। एनीमिया से पीड़ित को समय से पहचान हो सके, इसका भी उपाय कर लिया गया है।

    अब प्रदेश में हर स्तर के सरकारी चिकित्सा केंद्र पर डिजिटल हिमोग्लोबीनोमीटर और उनकी स्ट्रिप उपलब्ध रहेगा, जिससे कि महिला की जांच हो सकेगी। भारत में एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, इससे 40% से अधिक आबादी ग्रस्त है।

    चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य विभाग में हर स्तर पर डिजिटल हिमोग्लोबीनोमीटर और उनकी स्ट्रिप उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। वह एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के अंतर्गत गठित राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक को संबोधित कर रहे थे।

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    लाल बहादुर शास्त्री भवन सचिवालय में आयोजित बैठक में कहा कि एनीमिया की पहचान के लिए आम जनमानस में विशेष अभियान चलाया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में छह माह से लेकर 59 वर्ष तक के विभिन्न छह आयु वर्गों को एनीमिया से मुक्ति दिलाना है।

    कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक डा. पिंकी जोवल, परिवार कल्याण के महानिदेशक डा. दिनेश कुमार, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक डा. रतनपाल सिंह सुमन, बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग, पंचायती राज, यूनिसेफ, टीएसयू, डब्ल्यूएचओ, न्यूट्रीशन इंटरनेशनल के प्रतिनिधि मौजूद थे।

    अभी उत्तर प्रदेश में सिर्फ बड़े सरकारी अस्पतालों में ही डिजिटल हिमोग्लोबीनोमीटर और उनकी स्ट्रिप उपलब्ध हैं। जिससे कि एनीमिया से पीड़ित अधिकांश महिलाएं समय से सरकारी जांच से वंचित रह जाती हैं। अब हर सरकारी केंद्र पर गर्भवती महिलाओं को एनीमिया की जांच में वरीयता दी जाएगी और डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर से उनकी जांच कर, शीघ्र इलाज दिया जाएगा। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक पांच वर्ष तक की आयु के बच्चे और बालक व बालिकाएं एनीमिया से ग्रसित है।

    एनीमिया की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए देश में 2018 में एनीमिया मुक्त भारत रणनीति शुरू की गई थी। डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर और उपचार का उपयोग करके एनीमिया की पॉइंट-ऑफ-केयर जांच (पीओसीटी) तहत प्राथमिक उपचार देना था। डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर उत्तम स्वास्थ्य सुविधाओं में एक है।