President From UP: उत्तर प्रदेश ने देश को अब तक कितने दिए राष्ट्रपति, यहां पढ़ें पूरी लिस्ट
President From UP देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश ने अब तक सिर्फ दो राष्ट्रपति दिए हैं। इस लिस्ट में पहला नाम है भारत रत्न डा. जाकिर हुसैन खां का। वह फर्रुखाबाद जिले से ताल्लुक रखते हैं। वहीं वर्तमान राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द कानपुर देहात के रहने वाले हैं।

President From UP: लखनऊ, जेएनएन। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द का कार्यकाल 24 जुलाई, 2022 को पूरा हो रहा है। अगले राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया शुरू हो रही है।
राष्ट्रपति चुनाव में उत्तर प्रदेश का अहम रोल रहता लेकिन यहां से अब तक सिर्फ दो राष्ट्रपति चुने गए हैं। इनके नाम डा. जाकिर हुसैन खां और राम नाथ कोविन्द हैं।
डा. जाकिर हुसैन का संबंध यूपी के फर्रुखाबाद जिले से है जबकि राम नाथ कोविन्द कानपुर देहात के रहने वाले हैं। आइये विस्तार से इन दोनों राष्ट्रपतियों के बारे में विस्तार से जानते हैं...
फर्रुखाबाद ने दिया देश को तीसरा राष्ट्रपति (कार्यकाल 13 मई 1967 से 3 मई 1969)
भारत देश के तीसरे राष्ट्रपति व भारत रत्न डा. जाकिर हुसैन खां का जन्म भले ही हैदराबाद में हुआ हो, लेकिन बचपन में ही उनका परिवार फर्रुखाबाद की कायमगंज तहसील के गांव पितौरा में आकर बस गया था।
उनके पिता फिदा हुसैन खां का पुराना घर अभी भी गांव पितौरा में है। जिसका जाकिर महल के नाम से नए सिरे से जीर्णोद्धार कराया गया है।

डा. जाकिर हुसैन खां के पिता फिदा हुसैन खां हैदराबाद में वकालत करते थे। जहां आठ फरवरी 1897 को जाकिर हुसैन का जन्म हुआ था। जब जाकिर हुसैन नौ वर्ष के थे कि उनके सिर से पिता का साया उठ गया। इस पर उनकी मां नाजनीन बेगम उन्हें लेकर पैतृक आवास गांव पितौरा आ गई थीं। प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई।
वर्ष 1915 में इटावा के इस्लामिया स्कूल से हाईस्कूल परीक्षा पास की। इसके बाद उनका दाखिला मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कालेज (वर्तमान अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी) में हुआ। वहीं इंटर, स्नातक, परास्नातक व एलएलबी करने के बाद जर्मनी की बर्लिन यूनीवर्सिटी से अर्थशास्त्र में डाक्टरेक्ट की उपाधि हासिल की।

वहां से लौटकर 1927 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनीवर्सिटी की कमान संभाली। देश की आजादी के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के भी कुलपति बने। वर्ष 1957 से 62 तक वह बिहार के राज्यपाल रहे।
वर्ष 1962 से 67 तक देश के उपराष्ट्रपति रहे। वर्ष 1963 में भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा। 13 मई 1967 को वह देश के तीसरे राष्ट्रपति बने, लेकिन वह अपना कार्यकाल पूरा न कर सके। तीन मई 1969 को वह दुनिया को अलविदा कह गए।

डा. जाकिर हुसैन खां के दो पुत्रियां थीं। एक पुत्री सईदा बेगम की शादी कायमगंज के गांव पितौरा निवासी खुर्शीद आलम खां से हुई थी। खुर्शीद आलम खां व उनके पुत्र सलमान खुर्शीद भारत सरकार में मंत्री रहे हैं।
सलमान खुर्शीद ने ही अपने नाना डा. जाकिर हुसैन के पैतृक आवास का जाकिर महल के नाम से जीर्णोद्धार कराया है। यहां पर उनकी स्मृतियां संजोने को संग्रहालय बनाने की तैयारियां चल रही हैं।

कानपुर देहात ने दिया देश को 14वां राष्ट्रपति (कार्यकाल 25 जुलाई 2017 से वर्तमान)
राम नाथ कोविन्द देश के 14वें और वर्तमान राष्ट्रपति हैं। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के परौंख डेरापुर में हुआ। 1 अक्टूबर 1945 को जन्में राम नाथ कोविन्द के पिता का नाम स्वर्गीय मैकू बाबा तथा माता का नाम स्वर्गीय कलावती है। इनकी पत्नी का नाम सविता कोविन्द और बेटा प्रशांत, बेटी स्वाती हैं।

गांव के प्राथमिक विद्यालय में ही कक्षा पांच तक की शिक्षा ग्रहण की इसके बाद अपनी बुआ के यहां कानपुर पढ़ने के लिए चले गए। वर्ष 1991 में भाजपा से जुड़े, 1994 में राज्यसभा सदस्य चुने गए, 2000 में भी चुने गए। इसके बाद 2007 में पुखरायां से विधानसभा चुनाव लड़े और तीसरे नंबर पर रहे।
पुखरायां को अपने चुनाव का केंद्र बिंदु बनाया था यहां पर चुनाव कार्यालय भी खोला था। 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के बने। इसके बाद 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति चुने गए।

कानपुर के झींझक में उनकी भाभी विद्यावती व भाई प्यारेलाल रहते हैं। बिहार के राज्यपाल रहते समय अपने परौंख के पैतृक आवास को उन्होंने गांव के लिए दान दे दिया था।
दो मंजिला इस मकान में मिलन केंद्र संचालित है। जहां पर समूह की महिलाएं अपना काम करतीं हैं व प्रशिक्षण पाती हैं। इसके अलावा गांव में कोई शादी समारोह व कार्यक्रम हो तो यहां पर लोग उसका इंतजाम करते हैं।

गांव में ही पथरी देवी मंदिर है जिसका राष्ट्रपति से गहरा नाता व जुड़ाव है। वह जब भी गांव आते हैं यहां जरूर दर्शन पूजन करते हैं।
उनके पिता मैकू बाबा अलग अलग धाम, मंदिरों व धार्मिक स्थलों से पत्थर एकत्र कर लेते थे इसके बाद यहां बरगद के पेड़ की खोह में इन पत्थरों को रखा और पथरी देवी नाम दिया इसके बाद पूजन गांव के लोगों ने शुरू कर दिया। बाद में यहां मंदिर बना और सारे शुभ काम यहीं दर्शन पूजन के बाद होती है।

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