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    कानपुर में गिरफ्तार हिजबुल आतंकी कमरुज्जमा के दो साथी भी बेनकाब, NIA ने फाइल की चार्जशीट

    By Umesh TiwariEdited By:
    Updated: Sun, 30 May 2021 12:19 AM (IST)

    उत्तर प्रदेश में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के इरादे से कानपुर में अपना ठिकाना बनाने वाले हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा के दो मददगार भी बेनकाब हुए हैं। एनआइए को उनके हिजबुल के आतंकियों को ठिकाना समेत अन्य मदद मुहैया कराने के साक्ष्य मिले हैं।

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    कानपुर में गिरफ्तार किए गए हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा के दो मददगार भी बेनकाब हो गए हैं।

    लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के इरादे से कानपुर में अपना ठिकाना बनाने वाले हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा के दो मददगार भी बेनकाब हुए हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को उनके हिजबुल के आतंकियों को ठिकाना समेत अन्य मदद मुहैया कराने के साक्ष्य मिले हैं।एनआइए ने आरोपित जम्मू-कश्मीर निवासी निसार अहमद शेख (52) व निशाद अहमद बट (42) के विरुद्ध लखनऊ स्थित एनआइए की विशेष अदालत में अनुपूरक आरोपपत्र दाखिल किया है।

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    राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने इससे पूर्व 11 मार्च 2019 को कमरुज्जमा व फरार चल रहे आरोपित ओसामा बिन जावेद के विरुद्ध पहला आरोपपत्र दाखिल किया था। हिजबुल मुजाहिदीन का सक्रिय सदस्य ओसामा बिन जावेद 28 सितंबर 2019 को कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था। एनआइए कानपुर समेत प्रदेश के अन्य हिस्सों में आतंकी साजिश के इस मामले की अभी और गहनता से जांच कर रही है।

    करीब तीन साल पहले कानपुर में बड़ी आतंकी साजिश नाकाम हुई थी। उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने सितंबर 2018 को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा को गिरफ्तार किया था। कमरुज्जमा ने अपने दो अन्य साथियों के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी के मौके पर कानपुर के सिद्धि विनायक मंदिर के आसपास विस्फोट की साजिश रची थी। कमरुज्जमा के निशाने पर लखनऊ व मेरठ भी थे। उनके ठिकाने पर अन्य राज्य भी थे।

    हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी कमरुज्जमा के पकड़े जाने के करीब 10 दिन बाद एनआइए ने इस मामले की जांच अपने हाथों में ले ली थी और 24 सितंबर 2018 को केस दर्ज किया था। मामले की गहनता से की गई जांच में हिजबुल आतंकियों के मददगार के रूप में जम्मू-कश्मीर निवासी निसार अहमद शेख व निशाद अहमद बट की भी भूमिकाएं सामने आई थीं, जिसके बाद एनआइए ने निसार अहमद व निशाद बेग के विरुद्ध गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम व षड्यंत्र की धाराओं में केस दर्ज कर उनके विरुद्ध लखनऊ स्थित अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है।

    एनआइए की जांच में सामने आया है कि हिजबुल आतंकी ओसामा बिन जावेद को निसार अहमद शेख व निशाद अहमद ने शरण दी थी और उसकी सहायता की थी। निसार अहमद शेख खासकर ओसामा बिन जावेद, कमरुज्जमा व हिजबुल के अन्य आतंकियों के लिए सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था करता था, जबकि निशाद अहमद बट आतंकियों को शरण देता था। उन्हें जरूरत के सामान भी उपलब्ध कराता था। आतंकियों को सुरक्षित पनाह देने के लिए उसने अपने ही घर में ठिकाना भी बनवाया था।

    हिजबुल कमांडर ने दी थी हथियार चलाने की ट्रेनिंग : कमरुज्जमा व उसके साथियों के हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल होने के बाद उन्हें हथियार चलाने का खास प्रशिक्षण दिया गया था। सूत्रों का कहना है कि हिजबुल मुजाहिदीन के तत्कालीन कमांडर हजारी उर्फ रियाज नायकू, सैफुल्लाह मीर व अन्य ने हथियारों का प्रशिक्षण दिया था। सभी आपस में जुड़े थे और ब्लैकबेरी मैसेंजर के जरिये बात करते थे। मूलरूप से असम निवासी कमरुज्जमा ने अगस्त 2017 में खुद को इंजीनियर बताकर कानपुर के चकेरी में किराए पर मकान लिया था और उसके बाद कई अहम प्रतिष्ठानों की रेकी भी की थी।