यूपी में हिट एंड रन से 25000 अधिक लोगों की मौत, विशेषज्ञों ने बताया कैसे रुकेगा ये सिलसिला
लखनऊ में हिट एंड रन की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिनमें लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। तेज रफ्तार और ड्राइवरों की लापरवाही के कारण दुर्घटनाएं हो रही हैं। नया हिट एंड रन कानून, जिसमें कड़ी सजा का प्रावधान है, का विरोध हो रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि कानून का सख्त होना जरूरी है ताकि ड्राइवरों में जिम्मेदारी की भावना आए और दुर्घटनाओं पर अंकुश लगे।

जागरण संवाददाता, लखनऊ। 25 अक्टूबर को ही रायबरेली रोड के कल्ली पश्चिम में तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने मोपेड सवार दंपति को टक्कर मार दिया। राहगीरों ने दंपति को अस्पताल पहुंचाया, जहां महिला मृत व पति की हालत नाजुक बनी थी। अब बाराबंकी की कल्याणी नदी पुल पर सोमवार देर रात तेजी से आ रहे ट्रक की टक्कर से कार सवार आठ लोगों की मौतों ने फिर झझकोरा है।
हिट एंड रन के ये दो प्रकरण भर नहीं हैं, बल्कि इससे ड्राइवरों की जिम्मेदारी से बचने की मानसिकता सामने आई है कि लापरवाही से वाहन दौड़ाकर दूसरों को टक्कर मारो और मौके से भाग जाओ। इसी साल 10113 सड़क दुर्घटनाओं में 7738 मौतें ओवर स्पीडिंग की वजह से हुईं और अधिकांश में ड्राइवर मौके से भाग गए।
सड़क सुरक्षा के दावों के बाद भी सड़कों पर मौतें थमने का नाम नहीं ले रही। हर साल हिट एंड रन के कारण 25000 से अधिक लोग जान गंवा रहे हैं। बाराबंकी की घटना में ही ट्रक ड्राइवर ने यदि पुलिस या अस्पताल को सूचित किया होता तो कई लोगों की जान बच सकती थी।
लोगों की जान बचाने के लिए गोल्डेन आवर की बातें खूब होती हैं लेकिन, जिसने घटना किया, उसके ड्राइवर यदि जिम्मेदारी महसूस नहीं कर रहे तो सारी कवायद बेकार है। ट्रक ही नहीं सड़क पर चलने वाले हर वाहन ड्राइवर की जिम्मेदारी है कि यदि उसकी वजह से कोई चोटिल, गंभीर रूप से घायल या मृत हुआ है तो उसे अस्पताल तक पहुंचाए। यह बात ड्राइवरों को सही से समझ नहीं आ रही तो कानून के माध्यम से समझानी होगी।
हिट एंड रन को लेकर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय का कानून भी तैयार है। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 106(2) में दुर्घटना के बाद मौके से भागने वाले ड्राइवरों के लिए कड़ी सजा का प्रविधान है। इसमें 10 साल तक की जेल और सात लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
जनवरी 2024 में केंद्र सरकार द्वारा लाये जा रहे ''''हिट एंड रन'''' के नए कानून को लेकर कई राज्यों में ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट आपरेटर्स द्वारा चक्काजाम किया गया। विरोध की वजह यह थी कि अत्यधिक कठोर सजा, ड्राइवर इतना धन कहां से लाएंगे व भीड़ की हिंसा का डर भी उन्हें सता रहा था। सरकार ने ट्रकर्स की हड़ताल खत्म करने के लिए कानून लागू नहीं किया। मानों उन्हें दुर्घटना करने की छूट दे दी गई।
सड़क सुरक्षा के पूर्व अपर आयुक्त पुष्पसेन सत्यार्थी कहते हैं कि पुराने कानून यानी आइपीसी में यदि कोई हिट एंड रन का मामला होता तो दोषी ने पुलिस को सूचित व घायल को हास्पिटल पहुंचाया या पीड़ित को मरने के लिए छोड़कर भाग गया, दोनों स्थिति में दो साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रविधान था।
नए ''''हिट एंड रन'''' मामले में यदि टक्कर मारने वाला पुलिस, मजिस्ट्रेट को सूचित करता है, घायल के लिए एंबुलेंस बुलाता है तो उसे पांच साल की जेल होगी और जुर्माना लगेगा, लेकिन यदि मौके से भाग जाता है तो उसे 10 साल की जेल होगी और जुर्माना लगेगा, यह बिल्कुल सही है।
परिवहन विभाग के विशेष सचिव रहे वीके सोनकिया कहते हैं कि ड्राइवरों की ब्लैकमेलिंग के आगे झुकने की जरूरत नहीं है। कानून सख्त होना ही चाहिए कोई जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। ड्राइवरों में कानून का डर होने पर ही घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा। इंटेलीजेंस के साथ ही अब तकनीक का साथ लिया जाना चाहिए।

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