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    21 लाख में बना था विधान भवन, 7 साल में हुआ था निर्माण

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Sun, 27 Jan 2019 09:12 AM (IST)

    लखनऊ के विधान भवन का इतिहास करीब सौ साल पुराना हो चला है। मशहूर आर्किटेक्ट हीरा सिंह और सैमुअल ने इसे डिजाइन किया था और मार्टिन एंड कंपनी ने इसका निर् ...और पढ़ें

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    21 लाख में बना था विधान भवन, 7 साल में हुआ था निर्माण

    लखनऊ, (राजीव वाजपेयी)। जिस विधान भवन की भव्य इमारत के सामने से गणतंत्र दिवस की परेड निकलती है कभी यहां पर मैदान हुआ करता था। दरअसल आजादी से पहले अंग्रेजों ने इलाहाबाद को ही यूपी की राजधानी के तौर पर मान्यता दे रखी थी। वहीं से सारा कामकाज देखा जाता था। जैसे-जैसे अंग्रेजों का प्रभुत्व बढ़ता गया उनको और विस्तार की जरूरत महसूस हुई। चूंकि लखनऊ दूसरी कई विशेषताओं के कारण अंग्रेजों का पसंदीदा स्थान रहा था, इसलिए जल्द ही इसे राजधानी बनाने का फैसला किया गया।

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    आखिरकार 1922 में लखनऊ को इलाहाबाद की जगह राजधानी का दर्जा दे दिया गया। इस पूरी इमारत को बनाने में 21 लाख रुपये की लागत आई थी। 15 दिसंबर 1922 को इस भव्य इमारत का निर्माण शुरू किया गया था और सात साल में बनकर तैयार हो गई थी। 21 फरवरी 1928 में यह इमारत पूरी तरह बनकर तैयार हुई थी।

    जब अंग्रेजों ने लखनऊ को राजधानी बनाने का फैसला किया तब इस इमारत की जरूरत महसूस हुई। तत्कालीन यूपी के गर्वनर स्पेंसर हारकोर्ट बटलर ने विधान भवन की नींव रखी थी। आजादी के बाद यूपी में पहली विधानसभा 20 मई 1952 में गठित हुई थी। इसके बाद से अब तक 17 बार विधान सभा का गठन हो चुका है। पहले यह भवन काउंसिल हाउस के नाम से जाना जाता था लेकिन 1937 में जाकर इसका नाम तब्दील किया गया।

    कुछ खास बातें

    • भवन की स्थापत्य यूरोपियन और अवधी शैली का मिश्रण है। यह भवन अर्दचक्राकार में मुख्य रूप से दो मंजिलों में मिर्जापुर चुनार के भूरे रंग के बलुआ पत्थरों के ब्लाक से निर्मित है। अर्धचक्र के बीच में गौथिक शैली का गुंबद है जिसके शीर्ष पर आकर्षक छतरी है। इस गुमंद के चारों ओर सजावट के तौर पर रोमन शैली में बड़े आकार की पत्थर की मूर्तियां बनी हुई है। भवन के बाहरी भाग के पोर्टिको के ऊपर संगमरमर से प्रदेश का राज्य चिन्ह अंकित है।
    • भवन के अंदर अनेक हाल और दीर्घाएं हैं। यह सभी जयपुर और आगरा से लाए गए पत्थरों से बनायी गयी हैं। ऊपर मंजिल पर जाने के लिए मुख्य द्वार पर दाहिने और बाएं सुंदर शैली में संगमरमर निर्मित गोलाकार सीढ़ियां बनी हैं।
    • गुबंद के नीचे अष्टकोणीय चेंबर अर्थात मुख्य हाल बना है। इसकी वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है। इसे पच्चीकारी शैली में बनाया गया है। हाल की गुंबदीय आकार की छत में जालियां तथा नृत्य करते हुए आठ मोरों की सुंदर आकृतियां बनी हैं। इसी चेंबर में विधानभवन की बैठकें होती हैं।
    • विधान परिषद की बैठकों और कार्यालयों कक्षों के लिए अलग चेंबर का प्रस्ताव जुलाई 1935 में हुआ। इसके निर्माण का काम मेसर्स फोर्ड एंड मैकडॉनाल्ड को सौंपा गया। मुख्य वास्तविद एएम मार्टीमर की देखरेख में इसके निर्माण का काम 1937 में पूरा हुआ।