200 किमी/घंटा की रफ्तार से दौड़ेंगी ट्रेनें, 200 नई वंदे भारत और 50 रैपिड रेल को मंजूरी
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) और अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) रेलवे क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे, जिससे यात्रा को सुगम बनाया जा सके। आरडीएसओ 1957 से रेल तकनीक के क्षेत्र में अनुसंधान कर रहा है। पटरियों की गति क्षमता 160 किमी प्रति घंटे तक पहुंच गई है, जिसे 200 किमी प्रति घंटे तक बढ़ाने का लक्ष्य है। 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने में यह सहयोग महत्वपूर्ण है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, लखनऊ। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के साथ सहयोग करेगा। सीआइआइ और आरडीएसओ मिलकर रेलवे क्षेत्र में नवाचारों, नवीनतम प्रौद्योगिकियों, सहयोग और रेलवे के विभिन्न आयामों पर काम करेंगे ताकि यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाया जा सके।
शुक्रवार को आरडीएसओ में एक आयोजन में मुख्य अतिथि उदित बोरवणकर महानिदेशक, अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) ने कहा कि आरडीएसओ एकमात्र संगठन है जो 1957 से रेल तकनीक के क्षेत्र में अनुसंधान और डिजाइन का कार्य कर रहा है।
पटरियों की गति क्षमता 75 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच गई है और इसे आगे 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। जिन कोचों में पहले केवल 500 से 700 यात्रियों को ही समायोजित किया जा सकता था, अब वे एक रेक में दो हजार यात्रियों को समायोजित करने में सक्षम हैं।
माल ढुलाई के मामले में क्षमता 150 टन प्रति एक्सल से बढ़कर लगभग 250 टन प्रति एक्सल तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि भारतीय रेल में हुए सभी तकनीकी नवाचार वर्ष 2047 तक विकसित भारत के रोडमैप में भी योगदान दे रहे हैं। कवच प्रणाली के पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह स्वदेशी रूप से विकसित सुरक्षा और संरक्षा प्रणाली रेल गतिशीलता तंत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
अभिषेक सर्राफ सम्मेलन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, अवध रेल इन्फ्रा लिमिटेड ने कहा कि अगले दो-तीन वर्षों में 200 नई वंदे भारत ट्रेनों, 100 अमृत भारत ट्रेनों, 50 नमो भारत रैपिड रेल और 17,500 जनरल नान-एसी कोचों के निर्माण को मंजूरी दी गई है।
इस मौके पर उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने कहा मेट्रो रेल देश के 24 शहरों में संचालन कर रही है। विकसित यूपी 2047 के योजना के तहत 1500 किलोमीटर मेट्रो रेल नेटवर्क जोड़ने की परिकल्पना है जिसमें से अकेले लखनऊ में 200 किलोमीटर से अधिक और कानपुर व आगरा में 550 किलोमीटर का नेटवर्क विकसित करने की योजना है। जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट (सेल्स एंड डिस्ट्रीब्यूशन) रनीत राणा ने कहा कि भारतीय रेल में हाल के वर्षों में हुई प्रगति को देखते हुए इसका भविष्य अत्यंत आशाजनक है।

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