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    हाई कोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय को दिया आदेश, केकेवी कालेज की नियमित संबद्धता पर तीन माह में लें निर्णय

    By Vikas MishraEdited By:
    Updated: Sat, 30 Oct 2021 12:38 PM (IST)

    इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय को आदेश दिया है कि केकेवी को नियमित संबद्धता को लेकर तीन माह में निर्णय ले। कोर्ट ने विवि द्वारा केकेवी पर नियमित संबद्धता प्राप्त करने में देरी के लिए एक लाख रुपये के जुर्माना के आदेश को खारिज कर दिया।

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    यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की एकल पीठ ने केकेवी कालेज की ओर से दाखिल याचिका पर दिया।

    लखनऊ, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय को आदेश दिया है कि वह बप्पा श्रीनारायण वोकेशनल पीजी कालेज (केकेवी) को नियमित संबद्धता को लेकर तीन माह में निर्णय ले। कोर्ट ने विवि द्वारा केकेवी पर नियमित संबद्धता प्राप्त करने में देरी के लिए एक लाख रुपये के जुर्माना लगाने के आदेश को भी खारिज कर दिया है। यह आदेश जस्टिस विवेक चौधरी की एकल पीठ ने केकेवी कालेज की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वर्ष 1933 में पं. जय नारायन मिश्रा ने इंटर कॉलेज की शुरूआत की गई थी, जिसे बाद में स्नातक तक विस्तार किया गया एवं वर्ष 1954 में कालेज एलयू से संबद्ध हो गया। वर्ष 1995-96 में एलयू ने कालेज को परास्नातक तक की मान्यता दी। 

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    वहीं, 22 दिसंबर 2016 को पुराने शासनादेश में संशोधन करते हुए, संस्था के नाम भूमि होने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया। इस दौरान एलयू के रजिस्ट्रार ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर यह स्पष्ट करने का अनुरोध किया कि केकेवी के पास स्वयं की भूमि न होने के बावजूद क्या नए कोर्स की अनुमति दी जा सकती है। इसी दौरान पांच अगस्त 2020 को नियमित संबद्धता प्राप्त करने में देरी के लिए एलयू ने केकेवी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि 22 दिसम्बर 2016 के शासनादेश में ही भूमि की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया था व संबद्धता के लिए कालेज द्वारा अपने स्तर पर सभी प्रयास किए गए लिहाजा जुर्माने का आदेश गलत था।