Lucknow: KGMU व SGPGI की नहीं लगानी होगी दौड़, RML को मिली हिमेटालाजी और हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की सौगात
Lucknow News लखनऊ के डा राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान में दो नए विभाग हिमेटालाजी और हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के संचालन की शासन से मंजूरी मिल गई है। मरीजों को अब केजीएमयू व एसजीपीजीआइ की दौड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

लखनऊ, [पुलक त्रिपाठी]। डा राम मनोहर लोहिया चिकित्सा संस्थान को दो अन्य विभागों की सौगात मिली है। शासन ने संस्थान में दो और विभाग हिमेटालाजी और हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन के संचालन को स्वीकृति दे दी है। इसी के साथ संस्थान में कुल विभागों की संख्या 44 हो जाएगी। संस्थान प्रशासन इसके लिए लंबे समय से प्रयासरत था। संस्थान का दावा है कि इन दोनाें विभागों के शुरू होने के साथ ही मरीजों को और बेहतर सुविधाएं भी मुहैया होंगी।
गोमतीनगर स्थित संस्थान में मौजूदा समय में 42 विभाग संचालित हो रहे हैं। यहां रोजाना 3000 से 3500 मरीज ओपीडी में दिखाने आने हैं। जबकि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की औसतन संख्या करीब 300 से 500 है। ऐसे में इन दोनों विभागों के शुरू होने से मरीजों को काफी हद तक राहत मिलेगी।
हिमेटालाजी एक उत्कृष्ट विभाग
संस्थान में हिमेटालाजी विभाग के शुरू होने से मरीजों में हर प्रकार के ब्लड कैंसर, बोन मैरो संबंधित सभी जांच व इलाज की राह आसान हो सकेगी। इस विभाग के न होने से यहां के मरीजों को केजीएमयू व एसजीपीजीआइ का रुख करना पड़ता है। ऐसे में इन मरीजों को रक्त संबंधी जांचें व इलाज के लिए इधर उधर भागने से निजात मिल सकेगी।
हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन
इस विभाग के शुरू होने से अस्पताल में मरीजों को और बेहतर और सुव्यवस्थित सुविधाएं मिल सकेंगी। साथ ही अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं के लिए बेहतर पालिसी भी तैयार कि जा सकती है। साथ ही चिकित्सा व प्रशिक्षण भी बेहतर होगा।
सफल हुआ निदेशक का प्रयास
संस्थान की निदेशक डा सोनिया नित्यानंद एसजीपीजीआइ में इसी विभाग में योगदान देती रही हैं, इसलिए उनके द्वारा हिमेटालाजी विभाग को शुरू किए जाने को लेकर काफी प्रयास किए गए। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई।
जल्द शुरू होगी प्रक्रिया
संस्थान की ओर से दोनो विभागों को शुरू किए जाने को लेकर जल्द ही कदम उठाए जाने हैं। संस्थान प्रशासन का कहना है कि दोनो विभागों के लिए पर्याप्त स्टाफ के लिए शासन को ब्योरा भेजा जाएगा। ताकि उस दिशा में आगे काम किया जा सके।
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