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    AI एप से होगी दिल के सेहत की निगरानी, हार्ट अटैक से हो रही मौत के आकड़ों में आ सकती है कमी

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 12:13 PM (IST)

    लखनऊ के लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर राठौर ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एप से दिल की सेहत की निगरानी संभव है। इससे दिल के दौरे और अन्य गंभीर रोगों से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है। एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी के बाद भी सतर्कता जरूरी है। कोरोनाकाल के बाद दिल की बीमारियों में वृद्धि हुई है जिसका कारण खराब जीवनशैली और तनाव है।

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    आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एप से होगी दिल की सेहत की निगरानी।

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में शुक्रवार को आयोजित पांचवें रिसर्च डे कार्यक्रम में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर राठौर ने अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मरीजों के इलाज में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ गया है। इसका फायदा भी हो रहा है। अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) एप से दिल की सेहत की सटीक निगरानी संभव है।

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    एप की मदद से दिल के दौरे और अन्य गंभीर रोग से होने वाली मौत के आंकड़े को कम किया जा सकता है। हार्ट रिहैबिलिटेशन में भी एआई का उपयोग हो रहा है। इसके पहले कार्यक्रम का उद्धाटन निदेशक प्रो. सीएम सिंह और द इंक्लेन ट्रस्ट इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) एनके अरोड़ा ने किया।

    डॉ. सुधीर ने बताया कि एआई आधारित एप से दिल की बीमारियों की जांच और इलाज में सफलता मिल रही है। एप की मदद से स्वस्थ व्यक्ति में बीमारी की पहचान की जा सकती है। समय रहते जोखिम का पता लगाकर जान बचाना संभव है। यही नहीं, एआई की मदद से कार्डियोलॉजिस्ट की कमी को भी पूरा किया जा सकता है।

    एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी के बाद भी खतरा

    यूके (यूनाइटेड किंगडम) के प्रसिद्ध ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. ने बताया कि एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी के बाद भी मरीज को अधिक सतर्कता की जरूरत होती है। जरा सी लापरवाही व्यक्ति को दोबारा खतरे में डाल सकती है। ऐसे में एंजियोप्लास्टी व बाईपास सर्जरी के बाद कार्डियक रिहैब्लिटेशन जरूरी है। डॉक्टर की सलाह पर नियमित पैदल चलने की आदत डालें। समय-समय पर जांच कराएं।  रोजाना दवाएं लें।

    उन्होंने बताया कि कोरोनाकाल के बाद दिल की बीमारी का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। इसकी प्रमुख वजह खराब जीवनशैली बीमारी, तला-भुना भोजन, फास्ट फूड की अधिकता भी है। इसके अलावा तनाव भी युवाओं की दिल कमजोर कर रहा है। 30 प्रतिशत मरीजों में बीमारी के दोबारा उभरने का खतरा रहता है।