उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य कर्मियों को दिया जाएगा अच्छे व्यवहार का प्रशिक्षण, मास्टर ट्रेनर देंगे जानकारी
उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य कर्मियों को बेहतर व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर स्वास्थ्य कर्मियों को जानकारी देंगे कि मर ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) पर तैनात वार्ड सहायकों, सुरक्षा कर्मियों, रिसेप्शनिट, स्टाफ नर्स, लैब टेक्नीशियन व फार्मासिस्ट को मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
एक दिन के इस प्रशिक्षण के लिए राज्य स्वास्थ्य संस्थान में 150 से अधिक मास्टर ट्रेनर तैयार किए गए हैं। ये सभी अपने-अपने अस्पतालों में जाकर स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण देंगे। कई अस्पतालों में ये प्रशिक्षण शुरू भी कर दिया गया है।
अस्पतालों में तैनात स्वास्थ्य कर्मियों खासतौर से सुरक्षा कर्मियों और वार्ड सहायकों की मरीजों या उनके स्वजनों के साथ दुर्व्यहार की घटनाओं को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की मदद से ये पहल शुरू की है।
मास्टर ट्रेनर के रूप में डाक्टरों, फार्मासिस्टों व नर्सिंग संवर्ग के वरिष्ठ पदाधिकारियों को दो दिन का प्रशिक्षण दिया गया है। ये अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को एक दिन का प्रशिक्षण देंगे। इसमें मरीजों व उनके स्वजनों से बातचीत व उनकी समस्याओं को दूर करने की जानकारी दी जाएगी।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल में मास्टर ट्रेनर चीफ फार्मासिस्ट सुनील यादव ने बताया कि व्यावहारिक प्रशिक्षण के कई हिस्से हैं। इसमें अस्पताल इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों और उनके स्वजनों से लेकर अपने साथी कर्मचारी के साथ व्यवहार, अस्पताल में मरीज के प्रवेश से लेकर उसके जाने तक क्या किया जाए, मरीज को दिक्कत होगी तो कौन सा कर्मचारी क्या मदद करेगा, इसकी जानकारी दी जा रही है।
मरीज के अस्पताल में आने पर सबसे पहले सिक्योरिटी गार्ड की भूमिका है। उसे बताया जाता है कि वो मरीज से कैसे बात करेगा, उसे व्हील चेयर या स्ट्रेचर की जरूरत है तो उपलब्ध कराया जाएगा।
इसके बाद रिसेप्शन या पर्चा काउंटर पर बैठे कर्मचारी, डाक्टर के कमरे के बाहर खड़े सहायक, उसके बाद डाक्टर, फिर फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन और मरीज के भर्ती होने पर नर्स का व्यवहार कैसा होगा, इसके बारे में बताया जा रहा है।
सभी कर्मचारियों को हार्ट अटैक के मरीज की जान बचाने के लिए जरूरी कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. रतन पाल सिंह सुमन ने बताया कि सभी कर्मचारियों के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण जरूरी है। प्रशिक्षण के बाद फीडबैक भी लिया जाएगा।

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