हमीरपुर के गांव में सड़क निर्माण न होने की होगी जांच, गर्भवती को बैलगाड़ी से 3 KM दूर एंबुलेंस तक ले जाने का मामला
हमीरपुर में सड़क न होने पर गर्भवती महिला को बैलगाड़ी से अस्पताल ले जाने के मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं। अधिकारियों ने गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। ग्रामीणों में सड़क निर्माण न होने से आक्रोश है, क्योंकि वे लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। राज्य मानवाधिकार आयोग ने हमीरपुर की मौदहा तहसील के ग्रांव परसदवा डेरा में गर्भवती को बैलगाड़ी से तीन किलोमीटर दूर खड़ी एंबुलेंस तक ले जाए जाने के मामले को गंभीरता से लिया है। आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा ने इस घटना को लेकर दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर का संज्ञान लेकर डीएम हमीरपुर को उच्च स्तरीय जांच कराकर 25 नवंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
हमीरपुर के परसदवा डेरा गांव की आबादी लगभग 600 है। इसके बावजूद गांव को मुख्य सड़क से अब तक नहीं जोड़ा गया है। लिहाजा गांव से मुख्य सड़क के बीच कच्चा रास्ता है। रविवार को प्रसव पीड़ा से कराह रही रही गर्भवती महिला को बैलगाड़ी से तीन किलोमीटर दूर एंबुलेंस तक ले जाना पड़ा था। आजादी के बाद भी इस गांव की सड़क नहीं बनी। दलदलयुक्त रास्ते के जिसके गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकती थी।
वहीं जिला प्रशासन के अधिकारियों से लेकर अन्य जिम्मेदारों के पास इस अव्यवस्था को लेकर कोई संतोषजनक उत्तर नहीं है। आयोग ने कहा है कि यह मामला प्रथत दृष्टया मानवाधिकारों के हनन का प्रत्यक्ष उदाहरण प्रतीत होता है। डीएम हमीरपुर को प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराकर 25 नवंबर तक अपनी जांच रिपोर्ट आयोग के समक्ष प्रस्तुुत करने का निर्देश है।

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