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मुस्लिम समुदाय में कुरीति के रूप में बरकरार हलाला ने कर दी जिंदगी हराम

मुस्लिम समुदाय में हलाला को लेकर मसलकों के बीच में विवाद है। इसका खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 10:11 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 05:36 PM (IST)
मुस्लिम समुदाय में कुरीति के रूप में बरकरार हलाला ने कर दी जिंदगी हराम
मुस्लिम समुदाय में कुरीति के रूप में बरकरार हलाला ने कर दी जिंदगी हराम

लखनऊ [राफिया नाज]। मुस्लिम समुदाय में हलाला को लेकर मसलकों के बीच में विवाद है। इसका खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है। पैगम्बर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने भी हलाला को लेकर सख्त नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद भी मुस्लिम समुदाय में हलाला आज भी कुरीति के रूप में मौजूद है। इसका ताजा मामला बरेली में निदा का है। वहीं सिर्फ बरेली नहीं बल्कि राजधानी में भी कई ऐसे मामले हैं जिसमें महिलाएं हलाला का दंश झेल रही है। पहले शौहर को फिर से पाने के बाद भी इन महिलाओं के हालात नहीं बदले जिसके बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और स्वाभिमान की राह चुनी अपनी और बच्चों की परवरिश भी की। 

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10 साल के देवर से कर दिया हलाला 

केस.1- राजधानी के कैसरबाग में रहने वाली 44 वर्षीय महिला की लगभग 15 वर्ष पहले कारपेंटर से शादी हुई थी। जिससे उनके तीन बच्चे तीन लड़कियां और एक लड़का था। पति को शराब पीने की आदत थी और महिला के साथ मारपीट भी करता था। एक दिन नशे की हालत में पति ने महिला को तीन तलाक दे दिया। इसके बाद घरवालों के कहने पर अपने छोटे 10 वर्षीय भाई से हलाला निकाह करवा दिया। हालांकि महिला इसके लिए तैयार नहीं थी, लेकिन बच्चों के भविष्य को देखकर वो इसके लिए तैयार हो गई। इसके दो माह बाद देवर ने उसे तलाक करवाया गया। जिसके बाद उसका फिर से निकाह पहले पति से हो गया। इसके बाद भी उसके हालात नहीं बदले और पति ने बच्चों का खर्च उठाना बंद कर दिया। जिसके बाद महिला ने बच्चों की परवरिश कॉस्मेटिक के सामान बेचकर, बिस्किट और रजाई-गद्दों में तगाई करके की। वहीं तीनों बेटियों की शादी भी की।

हलाला को मंजूर न कर पति से हुई अलग 

केस.2- गोमती नगर में रहने वाली 22 वर्षीय महिला के माता-पिता बचपन में गुजर गये थे। जिसके बाद भाई ने उसकी परवरिश की और एक कोचिंग सेंटर चलाने वाले से शादी कर दी। शादी के कुछ ही साल बाद उसका एक लड़की से संबंध हो गये। जिसके बाद उसने पत्नी से मारपीट शुरू कर दी। वो उसे और बच्चों को मारपीट करके ताला बंद करके चला जाता था। जहां उसने किसी तरह से एक लेटर लिखा जिसमें आपबीती लिखी और पड़ोसियों के हवाले कर दिया। पड़ोसियों ने लेटर 'मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्डÓ की अध्यक्ष शाईस्ता अंबर तक पहुंचाई। मामला पहुंचने पर पति ने बताया कि उसने महिला को तलाक दे दिया जबकि वो गर्भवती थी। ऐसे में उसका तलाक नहीं हुआ था और पति ने तलाक की सूचना फोन पर महिला के भाई को दी थी। जिसके आधार पर उसका तलाक नहीं हुआ था, दोनों समझाने पर एक साथ रहने लगे। इसी बीच लोगों के एतराज करने पर पत्नि को हलाला करने पर मजबूर किया। पति ने एक अंधे आदमी से हलाला निकाह करने पर मजबूर किया, लेकिन महिला ने हलाला करने के बजाय पति से अलग होना तय किया। पति से अलग होने के बाद उसे टीचर की जॉब की और अपने बच्ची को भी उसी स्कूल में दाखिला दिलाया। 

हलाला ने बदतर किये हालात

केस.3- निशातगंज की रहने वाली 24 वर्षीय महिला की शादी तीन वर्ष पहले हुई थी। पति ने उसे ट्रिपल तलाक दे दिया था जिसके बाद वो मायके लखनऊ आ गई। वो तलाक को मंजूर नहीं कर रही थी जिसके बाद पति ने उसे फिर से बुलाया किसी के साथ हलाला करवाया। बाद में एक माह बाद उसका तलाक हुआ दोबारा पहले शौहर से निकाह हुआ। इसके बाद ससुराल वालों ने उसे प्रताडि़त करना शुरू कर दिया। जिसके बाद वो अपने पति से अलग रह रही है, किसी तरह से अपना गुजर बसर कर रही है।

घर में काम करके कर रही गुजारा 

केस.4- 33 वर्षीय बासमंडी निवासी महिला का निकाह लगभग सात वर्ष पहले हुआ था। उसके तीन बच्चे थे, पति उसके साथ मारपीट करता था। वर्ष 2016 में पति ने उसे ट्रिपल तलाक दे दिया। बच्चों को छीन लिया, उसके बाद हलाला का दबाव बनाया। इसके बाद फिर से उसका निकाह हुआ। निकाह के बाद फिर से महिला के साथ मारपीट का सिलसिला शुरू हो गया। पति ने फिर से उसे तलाक दे दिया और बाद में फिर से हलाला का दबाव बनाय, लेकिन महिला ने पति को छोड़ दिया। किसी तरह से दूसरों के घरों में काम करके अपने बच्चों को पढ़ा रही है। 

हलाला महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़

मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड अध्यक्ष शाईस्ता अंबर ने कहा कि जो भी अल्लाह के बनाये हुए कानून वो मुकम्मल हैं, लेकिन हलाला इंसानों के द्वारा बनाया गया कानून है। जिसे उन्होंने अपनी सहुलियत के लिए बनाया है। हलाला से औरतों की जिंदगी दोजख बन जाती है यह उनके आत्मसम्मान और इज्जत के खिलाफ खिलवाड़ होता है। नबी ने भी हलाला पर लानत भेजी थी, इसलिए यह प्रथा बंद हो जानी चाहिए। महिलाओं को इंसाफ नहीं मिल पाता है वो शरई अदालत के चक्कर काटती रहती हैं। हलाला के खिलाफ कोर्ट में पीटिशन दी हुई है और हमें इंसाफ की पूरी उम्मीद है। 

पेश की जा रही हलाला की गलत तस्वीर 

ऐशबाग ईदगाह इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हलाला की सही तस्वीर मीडिया में पेश नहीं की जा रही है। यह शरीयत महिलाओं की सहुलियत के लिए बनाई गई थी। जिसमें बुनियादी तौर पर औरत-मर्द में ना इत्तेफाकी होने पर तलाक हो जाता है या औरत खुला कर अलग हो जाती है। ऐसे में औरत अपनी मर्जी से दूसरा निकाह करती है और किसी कारण वश उससे भी उसका तलाक हो जाता है ऐसे में उस औरत का तीसरा निकाह होना संभव नहीं होता है। इसलिए अगर महिला चाहे तो वो अपने पहले शोहर से शादी कर सकती है। वहीं अगर कोई भी औरत या मर्द यह सोचकर तलाक देता है तो यह हरामकारी है। इसकी सख्त मनाही है। हर विधान सभा सत्र से पहले तीन तलाक, हलाला जैसे मुद्दे उठते हैं अब तो मुस्लिम समाज भी इस बात को समझ चुका है। मुस्लिम समुदाय में यह मांग उठाई जा रही है कि जो लोग भी हलाला कर रहे हैं या करवा रहे हैं उन पर रेप का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए और उसके तहत उन पर कार्रवाई की जाए। हलाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पीटीशन भी चल रही है। 


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