UP News: यूपी में बना नया नियम- बिना पंजीकरण गर्भपात किया तो हो सकती है दो से सात साल की जेल, एसओपी जारी
लखनऊ स्वास्थ्य विभाग ने यौन हिंसा और बलात्कार के मामलों में गर्भवती लड़कियों/महिलाओं के गर्भ समापन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में एमटीपी एक्ट के तहत पंजीकृत अस्पतालों के लिए एसओपी जारी की गई है। नियमों का उल्लंघन करने पर कारावास की सजा का प्रावधान है। यौन हिंसा बलात्कार कम उम्र जैसी स्थिति में 24 सप्ताह तक गर्भ समापन किया जा सकता है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। स्वास्थ्य विभाग ने यौन हिंसा, बलात्कार के मामलों में गर्भवती लड़कियों/महिलाओं के गर्भ समापन के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट इलाहाबाद में दायर याचिका एक्स बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य में जारी आदेश के अनुपालन में इसे जारी किया गया है।
इसमें भारत सरकार से जारी गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971 (एमटीपी एक्ट) व यौन हिंसा/बलात्कार के मामलों में गर्भवती लड़कियों/महिलाओं के गर्भ समापन, गर्भ का चिकित्सीय समापन नियम-2003 को शामिल किया गया है।
चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट में दायर याचिका के अनुपालन में प्रदेश के एमटीपी एक्ट के तहत गर्भ समापन सेवाएं देने वाले पंजीकृत निजी व सरकारी अस्पतालों में के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) को जारी किया गया है।
इस दिशा-निर्देश में पंजीकृत डॉक्टर के अनुभव, प्रशिक्षण से लेकर नियमों का उल्लंघन करने पर दंड का भी जिक्र किया गया है। यदि कोई डॉक्टर बिना पंजीकरण या फिर सरकार द्वारा तय स्थान के अलावा अन्य स्थान पर गर्भ समापन करेगा तो उसे दो से सात साल का कठोर कारावास की सजा दी जाएगी।
यही नहीं गर्भ समापन के स्थान के स्वामी को भी दो से सात साल के कठोर कारावास का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा गर्भ समापन के लिए पात्रता के बारे में जानकारी दी गई है। एमटीपी एक्ट के तहत यौन हमले, बलात्कार, कम उम्र, गर्भावस्था के दौरान पति की मौत या तलाक की स्थिति, दिव्यांग, मानसिक रोगी, अनुवांशिक बीमारियों, मानवीय स्थिति, आपदा या आकस्मिकता की स्थिति वाली लड़कियों/महिलाएं के 24 सप्ताह तक का गर्भ समापन किया जा सकता है।
24 सप्ताह से अधिक गर्भावस्था की स्थिति में गर्भवती के जीवन, शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति या फिर जन्म लेने वाले बच्चे को किसी शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति में ही गर्भ समापन करने का नियम है।
24 सप्ताह से अधिक के गर्भ समापन के लिए केजीएमयू लखनऊ के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्षता में गठित मेडिकल बोर्ड की अनुमति जरूर होगी। इस आठ सदस्यीय बोर्ड में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग केजीएमयू की हेड अध्यक्ष, बाल रोग विभागाध्यक्ष, रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष, एसजीपीजीआई कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष एसजीपीजीआई, लोहिया इंस्टीट्यूट न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष, और एसजीपीजीआई के अनुवांशिक रोग विभागाध्यक्ष सदस्य होंगे।
इसके अलावा केजीएमयू मानसिक रोग विभागाध्यक्ष से नामित विशेषज्ञ काउंसलर, केजीएमयू चिकित्सा अधीक्षक सदस्य सचिव होंगे। गर्भ समापन करने वाली महिला की निजता का ध्यान रखना अनिवार्य होगा।
जिला स्तरीय समिति में मुख्य चिकित्सा अधिकारी सीएमओ पदेन अध्यक्ष होगा, स्त्री रोग विशेषज्ञ एनेस्थेटिस्ट सर्जन, स्थानीय चिकित्सा व्यवसायी, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि, पंचायती राज संस्था का प्रतिनिधि सदस्य होंगे। ये समिति दो साल के लिए प्रभावी रहेगी।
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