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    UP News: ग्रीन कॉरिडोर के तीसरे चरण का रास्ता साफ, सेना देगी जमीन; द‍िल्‍ली में हुई बैठक में बनी सहमत‍ि

    By Govind MishraEdited By: Vinay Saxena
    Updated: Thu, 26 Sep 2024 07:48 AM (IST)

    परियोजना के तीसरे चरण के लिए एलडीए के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार की दिल्ली में सैन्य अधिकारियों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक में सहमति बन गई है। अब सेना की ...और पढ़ें

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    सेना की जमीन म‍िलने से रफ्तार पकड़ेगी ग्रीन कॉरिडोर पर‍ियोजना।- सांकेत‍िक तस्‍वीर

    जागरण संवाददाता, लखनऊ। सेना की जमीन का मसला सुलझने के बाद ग्रीन कॉरिडोर परियोजना एक बार फिर रफ्तार पकड़ती नजर आएगी। दरअसल, परियोजना के तीसरे चरण के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार की दिल्ली में सैन्य अधिकारियों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक में सहमति बन गई है। अब सेना की जमीन हस्तांतरित हो जाएगी और एलडीए भी सैन्य क्षेत्र में अंडरपास व रैंप आदि की सुविधाएं देगा।

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    प्रोजेक्ट इंपलीमेंटेशन यूनिट के प्रभारी एके सिंह सेंगर ने बताया कि ग्रीन कॉरिडोर परियोजना के तीसरे चरण में पिपराघाट से शहीद पथ के बीच गोमती नदी के दाहिने तट पर तटबंध का निर्माण होना है। इसकी कुल लंबाई 5.8 किलोमीटर है। इसमें से बंधे का 2.8 किलोमीटर हिस्सा छावनी क्षेत्र में आ रहा है, जिसके लिए लगभग 21.81 हेक्टेयर सैन्य भूमि प्राधिकरण को हस्तांतरित होनी है।

    इस संबंध में तैयार प्रस्ताव पर एलडीए के साथ स्थानीय स्तर पर रक्षा संपदा, सेना व सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक पहले भी हुई थी। इसमें सभी की सहमति मिलने के बाद प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को प्रेषित किया गया था।

    द‍िल्‍ली में हुई उच्‍चस्‍तरीय बैठक

    23 सितंबर को इस परियोजना के लिए दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें प्राधिकरण उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार, अपर सचिव ज्ञानेंद्र वर्मा व रक्षा मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी (भूमि एवं कार्य) के बीच सकारात्मक वार्ता हुई। इस पर उपाध्यक्ष ने अधिकारियों को निरीक्षण करके नए सिरे से एलाइनमेंट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। सैन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के सुगम आवागमन के लिए बंधे पर निर्धारित स्थानों पर रैंप व अंडरपास बनाने के निर्देश दिए। अब सेना के अधिकारियों के साथ एलडीए अफसर निरीक्षण करेंगे और स्थान चिह्नित करेंगे।

    ग्रीन कॉरिडोर परियोजना से तटबंध निर्माण होने से बारिश के मौसम में सैन्य भूमि पर जलभराव नहीं होगा। इससे बाढ़ से प्रभावित होने वाली सैन्य भूमि की उपयोगिता बढ़ जाएगी। छावनी क्षेत्र में रहने वाले सेना के अधिकारियों व आम नागरिकों को एयरपोर्ट आने-जाने के लिए सीधा रास्ता मिल जाएगा। इसका लाभ न केवल छावनी क्षेत्र, बल्कि शहर की बड़ी आबादी को मिलेगा। प्रथमेश कुमार, एलडीए उपाध्यक्ष

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