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    पाटी जा रही ऐशबाग की ऐतिहासिक जमुना झील, 500 साल पुराना है इतिहास

    By Anurag GuptaEdited By:
    Updated: Wed, 09 Jan 2019 11:02 AM (IST)

    जमुना झील के किनारे बराबर की जा रही जमीन। राजनाथ सिंह से शिकायत, डीएम को मिली जांच, एलडीए कर रहा अनदेखी। झील का पांच सौ साल पुराना इतिहास जामुन के पेड ...और पढ़ें

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    पाटी जा रही ऐशबाग की ऐतिहासिक जमुना झील, 500 साल पुराना है इतिहास

    लखनऊ, [ऋषि मिश्र]। जमुना झील जहां चारों ओर कभी जामुन के पेड़ हुआ करते थे। हरियाली थी। शांति थी। पानी निर्मल था। हालात अब खतरनाक हो रहे हैं। पानी अब कम किया जा रहा है। मिट्टी पाटी जा रही है। झील की जमीन पर बड़े निर्माण करने की तैयारी है। 500 साल पुरानी ऐशबाग की जमुना (पुराना नाम जमुनिया) झील के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

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    स्थानीय लोग इस झील पर निर्माण शुरू किये जाने के खिलाफ खड़े हो रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री और राजधानी के सांसद राजनाथ सिंह से इसकी शिकायत की गई है। जिसके बाद जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा को जांच कर के कार्यवाही करने के लिए कहा गया है।

    झील का इतिहास है पुराना

    झील के करीब 500 साल पुराने इतिहास की जानकारी है। इतिहासकार योगेश प्रवीण बताते हैं कि पहले झील के चारों ओर जामुन के हरे भरे पेड़ हुआ करते थे। इसलिए इस झील का पुराना नाम जमुनिया झील हुआ करता था। इसके नजदीक ही मोतीझील भी है। हिंदू और मुसलमानों के अंतिम संस्कार इस झील किनारे हुआ करते थे।

    यहां ऐशबाग का कब्रिस्तान है। पहले यहां हिंदू अपने बच्चों का अंतिम संस्कार किया करते थे। उनको यहां दफनाया जाता था। नजदीक ही सुप्पा का कब्रिस्तान है। जहां अहमद जान थिरुकवा जैसे संगीतज्ञ की कब्र है। योगेश प्रवीण बताते हैं कि इस झील से सालों पहले पंचमुखी बजरंगबली की मूर्ति भी निकली थी। जिसकी स्थापना नादान महल रोड के एक मंदिर में की गई थी।

    गृहमंत्री से शिकायत

    केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से झील और पास के हिंदू श्मशान पर कब्जे की शिकायत कैंट बोर्ड के भाजपा से पूर्व पार्षद गणोश कनौजिया ने की है। उनका कहना है कि झील एलडीए के कब्जे में है। मगर प्राधिकरण के कर्मचारियों और अभियंताओं की मिलीभगत से झील पर कब्जा किया जा रहा है। मिट्टी पाटी जा रही है। शिकायत के बाद राजनाथ सिंह के प्रतिनिधि दिवाकर त्रिपाठी ने डीएम कौशलराज शर्मा को जांच कराने के लिए पत्र लिखा है।

    क्या कहते हैं अफसर ?

    लविप्रा सचिव एमपी सिंह का कहना है कि मुझे इस संबंध में शिकायत मिली है। मैं अधिशासी अभियंता को निर्माण कार्य रोकने के लिए मौके पर भेजूंगा। किसी भी तरह का अवैध कब्जा नहीं होने दिया जाएगा।