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    UP News: आवास विकास के आवंटियों के लिए अच्छी खबर, डिफाल्टरों को जल्द मिलेगा एक मुश्त समाधान योजना का लाभ

    By Vikas MishraEdited By:
    Updated: Thu, 23 Jun 2022 07:01 AM (IST)

    यूपी आवास विकास की राजधानी सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी योजना संचालित हो रही हैं। विलंब शुल्क के साथ हजारों रुपये ब्याज लग गया है ऐसे आवंटी ओटीएस आने के बाद ब्याज का लाभ उठा सकेंगे।

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    एक मुश्त समाधान योजना आगामी दो माह के भीतर शासन स्तर से लाने की तैयारी है।

    लखनऊ, जागरण संवाददाता। एक मुश्त समाधान योजना (ओटीएस) आगामी दो माह के भीतर शासन स्तर से लाने की तैयारी है। इसका फायदा आवास विकास परिषद के आवंटियों को मिलने के साथ ही प्राधिकरणों के आवंटियों को भी मिलेगा। इस पर कवायद तेज कर दी गई है। परिषद की सूची में हजारों प्रदेश भर में डिफाल्टर है, जो अपनी संपत्तियों की किस्तें समय से जमा नहीं करते हैं। ऐसे डिफाल्टरों को ओटीएस राहत देगी। ब्याज माफ होने के बाद वह आसान किस्तों में अपनी संपत्तियों की कीमत जमा कर सकेंगे।

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    वर्तमान में बिजली महकमे द्वारा ही प्रदेश में एक मुश्त समाधान योजना चला रखी है, जो 30 जून तक चल रही है। हालांकि यह योजना घरेलू उपभोक्ता, नलकूप और पांच किलोवाट वाले वाणिज्यिक उपभोक्ताअों के लिए है, लेकिन ओटीएस आने से बिजली विभाग के मध्यांचल डिस्काम को अब तक चालीस करोड़ रुपये के आसपास फंसा हुआ राजस्व आ चुका है और अभी यह राशि हर माह बढ़ सकती है, क्योंकि एक लाख से अधिक बकाएदारों को आसान छह किस्तो और एक लाख से अधिक बकाएदार को 12 किस्तों में भुगतान की सुविधा है।

    आवास विकास की राजधानी सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी योजना संचालित हो रही हैं। विलंब शुल्क के साथ हजारों रुपये ब्याज लग गया है, ऐसे आवंटी ओटीएस आने के बाद ब्याज का लाभ उठा सकेंगे। हालांकि परिषद के अधिकारियों का तर्क है कि आवंटियों को ओटीएस का इंतजार नहीं करना चाहिए, क्योंकि ओटीएस आने में समय रहता है और ब्याज पर ब्याज लगता जाता है। इसलिए भुगतान हर माह करते रहना चाहिए, जिससे आवंटी पर दबाव न बढ़े।

    सूत्रों के मुताबिक ओटीएस अगर लांच होती है तो आवास विकास परिषद के साथ ही प्रदेश के सभी प्राधिकरण के आवंटियाें को इसका लाभ मिलेगा। वर्तमान में कई सौ करोड़ रुपये आवंटियों के पास प्राधिकरण व परिषद का फंसा हुआ है। इससे एक बड़ी राशि परिषद व प्राधिकरण के पास आ जाएगी। इसका उपयोग आगामी योजनाओं के लिए दोनों विभाग कर सकेंगे।