गोमती में नाले का जहर! CBI जांच के कारण 600 मीटर पाइप गैप, सफाई का सपना टूटा
लखनऊ में गोमती नदी को निर्मल बनाने का प्रयास अधूरा है। सीबीआई जांच के कारण 600 मीटर पाइपलाइन का काम रुका हुआ है, जिससे नालों का पानी नदी में गिर रहा है। सिंचाई विभाग का कहना है कि सीबीआई से अनुमति मिलने तक काम शुरू नहीं हो सकता। योगी सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपी थी, जिसके चलते कई अभियंता जेल भी गए थे।

CBI जांच के कारण 600 मीटर पाइप गैप
अजय श्रीवास्तव, लखनऊ। गोमती नदी को निर्मल बनाने के सरकारी निर्णय से खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी, लेकिन नाले की गंदगी को नदी में गिरने से रोकने में अभी भी रुकावट दिख रही है।
सिंचाई विभाग ने गोमती रिवरफ्रंट परियोजना की सीबीआई जांच चलने की बात करते हुए कहा है कि बिना अनुमति के काम करना उचित नहीं होगा। सिंचाई विभाग का तर्क है कि अगर पाइपों में किसी तरह की छेड़छाड़ की गई तो सीबीआई जांच के साक्ष्यों को प्रभावित करने का आरोप लगा सकती है।
करीब छह सौ मीटर में गैप
घैला से लेकर लामार्टीनियर कालेज के (रबर डैम जियामऊ) सामने तक 28 किलोमीटर में पाइप तो पड़े हैं, लेकिन अलग-अलग जगह करीब छह सौ मीटर में गैप है, जिससे नाले का पानी नदी में जा रहा है।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि सीबीआई जांच चालू होने के कारण शेष कार्य को रोक दिया गया था। अब शासन ने गोमती नदी सफाई अभियान का नोडल अधिकारी मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत को बनाया है और सिंचाई विभाग ने उन्हें अधूरे कार्य की जानकारी दे दी है।
2017 तक 28 किलोमीटर तक काम पूरा
बताया है कि गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के अंतर्गत इंटरसेप्टिंग ट्रंक ड्रेन के तहत नालों के पानी को नदी से आने से रोके जाने का कार्य मार्च 2017 तक 28 किलोमीटर तक पूरा हो चुका है, लेकिन कई जगह गैप को बंद न किए जाने से नालों की पानी नदी में जा रहा है।
अधूरे कार्य को सीबीआई जांच के कारण पूरा नहीं किया जा सका है। इसलिए अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए शासन से अनुमति ली जानी चाहिए, जिससे शासन सीबीआइ से पत्राचार कर सके।
सिंचाई विभाग का कहना है कि जब तक गैप बंद नहीं होंगे, तब तक गोमती में नालों को गिरने से रोकना संभव नहीं है। यह गैप 28 किलोमीटर में जगह-जगह पर हैं। अगर सीबीआइ से अनुमति भी मिल गई तो पाइपों का परीक्षण करना होगा।
योगी सरकार ने दिए थे सीबीआई जांच के आदेश
अखिलेश सरकार की विदाई होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में हुए घपले की जांच सीबीआई को दे दी थी। सीबीआई ने सिंचाई विभाग के तत्कालीन अभियंताओं समेत कई को आरोपित बनाया था।
कुछ समय पूर्व शासन की तरफ से कहा भी गया था कि अधिकारी खुद ही सीबीआई से पत्राचार कर यह अनुरोध करें कि पाइप लाइन डालने के अधूरे कार्य को पूरा करने की अनुमति दी जाए, लेकिन आगे कुछ नहीं हो सका।
गोमती तटबंध सुंदरीकरण योजना
656 करोड़ की परियोजना में 1513.51 करोड़ खर्च हो चुके थे। परियोजना में अतिरिक्त कार्य कराने के लिए 2448.42 करोड़ का पुनरीक्षित बजट तैयार किया गया था, लेकिन योगी सरकार आने से अतिरिक्त बजट को रोक दिया गया था। सीबीआई जांच में सिंचाई विभाग के कई अभियंता जेल गए थे और आज भी जांच जारी है।

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