गोमती को मिलेगी राहत, खीरी ब्राच से छोड़ा गया पानी
शारदा नहर की खीरी ब्राच से छोड़ा गया पानी। खीरी ब्राच से 15 जून तक पानी छोड़ा जाएगा।
लखनऊ[जागरण संवाददाता]। गऊघाट पर पानी की बाट जोह रही गोमती के लिए राहत की खबर है। सिंचाई विभाग ने शारदा नहर की खीरी ब्राच से सौ क्यूसेक पानी छोड़ना शुरू कर दिया है। सीतापुर जिले की खीरी नहर ब्राच से गोमती नदी में हर रोज 100 क्यूसेक पानी अगले 10 दिनों तक छोड़ा जाएगा। खीरी ब्राच से 15 जून तक पानी छोड़ा जाएगा। इसके बाद हरदोई ब्राच से महदुइया स्केप से गोमती को पानी दिया जाएगा। बताते चलें कि भीषण गर्मी और बारिश न होने से गोमती का जलस्तर बीते कुछ दिनों से लगातार कम हो रहा है। गऊघाट, जहा से जलकल विभाग ऐशबाग व बालागंज जलकलों को पानी पंप करता है, वहा जलस्तर जरूरी स्तर से कम हो गया था। यहा बीते चार दिनों से जलस्तर 346.3 फीट के आसपास बना हुआ है। जलकल अधिकारी बताते हैं कि सामान्य दिनों में गऊघाट पर जलस्तर 346.9 फीट के करीब रहता है। 'जागरण' लगातार इस मामले को उठा रहा था। समस्या से निपटने के लिए सिंचाई विभाग ने खीरी ब्राच से पानी छोड़े जाने का आदेश दिया है। दरअसल गोमती को शारदा की लखनऊ ब्राच से महदुइया स्केप से पानी दिया जाता है, लेकिन रोस्टरिंग के चलते नहर इन दिनों बंद चल रही है। बढ़ते जल संकट को देखते हुए सिंचाई विभाग द्वारा बैराज को जहा पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
वहीं, शारदा सहायक का पानी चिनहट रजबहा से कुकरैल नाले में होता हुआ गोमती में पहुंच रहा है। इससे गोमती डाउन स्ट्रीम पर जलस्तर बढ़ गया है। कोशिश यह थी कि गऊघाट पर जल स्तर और न घटे, लेकिन गऊघाट पर घटते जलस्तर व बढ़ते प्रदूषण के चलते सिंचाई विभाग ने गोमती को खीरी ब्राच से पानी देकर राहत देने की कोशिश की है। अधिशासी अभियंता शारदा नहर प्रखंड दिनेश कुमार ने बताया कि अटरिया स्केप से गोमती नदी में 15 जून तक पानी चलेगा। इसके बाद हरदोई नहर शाखा से पानी चल जाएगा। इससे हरदोई ब्राच का पानी महदुइया स्केप से गोमती में जाएगा। गोमती को महदुइया स्केप से ही पानी दिया जाता है, क्योंकि वह पास पड़ता है। अटरिया स्केप से गोमती की दूरी 45 किमी. के आसपास है। दूरी होने की वजह से लॉस ज्यादा होता है। गोमती में पानी पहुंचाने के लिए शारदा नहर के सरौरा राजबहा में 100 क्यूसेक पानी कम किया गया। खीरी ब्राच में बनबसा बैराज से पानी छोड़ा जाता है। पानी अटरिया के रास्ते छह किलोमीटर दूर अकबरपुर, रीवान गाव के समीप गोमती में गिरेगा जहा से लखनऊ पहुंचेगा। कुड़ियाघाट पर सिल्ट ही सिल्ट
गोमती का जलस्तर लगातार कम हो रहा है। इसकी वजह से कुड़ियाघाट पर सभी जगह सिल्ट ही सिल्ट दिखने लगी है। श्री शुभ संस्कार समिति ने मजदूरों के माध्यम से सिल्ट निकलवाने का काम बुधवार से शुरू कराया है।1समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकात पाडेय ने कहा की सभी सरकारी प्रमुख लोगों से मिलकर गोमती की स्थिति पर बात कर चुके है परंतु किसी को चिंता नहीं है। महामंत्री ऋद्धि गौर ने कहा कि हम लोग 18 साल से सरकारों को देख रहे है। 3500 करोड़ खर्च होने के बाद भी एक नाला तक नही बंद हो सका है। लखनऊ की जीवनदायिनी दम तोड़ रही है। अब हम लोग आदोलन को तैयार है। आशीष अग्रवाल ने कहा कि पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में हम लोगों ने कुड़ियाघाट पर मजदूरों के माध्यम से सिल्ट निकलवाने का काम शुरू कर दिया है। सुबह संस्था के लोग भी श्रमदान करेंगे। टीम में राम सरन, कृष्णा नंद राय, रजनीश सिन्हा, आशीष अग्रवाल, राजेश आनंद, विक्त्रात खन्ना, अतुल गुप्ता, अंशु खरे, आशीष दीक्षित, सुनील खत्री, धमर्ेंद्र दीक्षित, राधे तिवारी सहित दर्जनों लोगों ने संकल्प लिया कि वो सब दो-दो मजदूरों का खर्च वहन करेंगे। ऋद्धि गौर ने कहा कि सिल्ट निकालने या गोमती को निर्मल बनाने की कोई योजना नही है, लेकिन तट के सुंदरीकरण और पौधरोपण के लिए लखनऊ विकास प्रधिकरण को 60 करोड़ जारी कर दिए गए। समिति ने जनता से गोमती के लिए सहयोग लेना शुरू कर दिया है।
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