बाराबंकी में घोड़ाें और खच्चरों में मिला ग्लैंडर्स का वायरस, इंसानों के लिए भी घातक; लाइलाज है यह बीमारी
उत्तर प्रदेश में ग्लैंडर्स बीमारी ने अपने पैर पसार लिए हैं। बाराबंकी समेत चार जिलों के घोड़ों और खच्चरों में इस बीमारी की पुष्टि हुई है। बीमार पशुओं स ...और पढ़ें

बाराबंकी, संवादसूत्र। उत्तर प्रदेश में ग्लैंडर्स बीमारी ने अपने पैर पसार लिए हैं। बाराबंकी समेत चार जिलों के घोड़ों और खच्चरों में इस बीमारी की पुष्टि हुई है। बीमार पशुओं से यह रोग मनुष्यों में फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है। इस बीमारी के बाद मृत्यु निश्चित होती है। बीमारी इंग्लैड और इटली की है। इन चारों जिलों के घोड़ों को नष्ट कराने से पहले एक बार फिर री-टेस्टिंग के लिए सैंपल हरियाणा के अनुसंसाधन केंद्र भेजा दिया है।
ग्लैंडर्स बीमारी ऐसी है जो कैंसर से भी अधिक खतरनाक है। घोड़ों और खच्चरों से सीधे यह बीमारी मनुष्यों में हो जाती है, और उसकी मौत हो जाती है। इस लाइलाज बीमारी की आशंका पर पूरे प्रदेश भर में हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है। पशुओं में घोड़ा ऐसा पशु है, जिसमें ग्लैंडर्स या फार्सी रोग जल्दी फैलता है। पूरे प्रदेश से घोड़ों की जांच शुरू कर दी गई है।
बाराबंकी से ही 46 घोड़ों के खून का नमूना एक अप्रैल को हरियाणा भेजा गया था। वहां से जो रिपोर्ट आई है, उसमें बाराबंकी के पशुचिकित्सालय देवा के खेवली गांव निवासी शैफू के दो घोड़े, फतेहपुर क्षेत्र अरविंद के एक घोड़े व भगौली तीर्थ के मजहर के एक घोड़े में ग्लैंडर्स वायरस की पुष्टि हुई है। यह जांच कुछ संदिग्ध लगने पर पशुपालन विभाग ने दोबारा री-टेस्टिंग के लिए घोड़ों सैंपल जांच के लिए भेज दिया है।
वहीं बदायूं, कासगंज और मुरादाबाद के पशुओं में ग्लैंडर्स के लक्षण मिले हैं। री-टेस्टिंग के बाद यदि वायरस की पुष्टि हो जाती है तो घोड़ों और खच्चरों को नष्ट कर दिया जाएगा। इसके बदले सरकार की ओर से मुआवजे के रूप में घोड़े के लिए 25 हजार जबकि गधा या खच्चर के लिए 16 हजार रुपये मुआवजा दिया जाएगा।
यहां होती है जांच : ग्लैंडर्स बीमारी की जांच उत्तर प्रदेश में संभव नहीं है। यहां ऐसा लैब नहीं बना है, जहां ग्लैंडर्स संक्रमण की जांच हो सके। हरियाणा के राष्ट्रीय अनुसंसाधन सिरसा रोड हिसार बना हुआ है।
लक्षण और बचाव के प्रयास : ग्लैंडर्स बीमारी होने के बाद चाहे वह मनुष्य हो या पशु। त्वचा में फोड़े, नाक के अंदर फटे हुए छाले, तेज बुखार आना, नाक से पीला कनार व खून आना शुरू हो जाता है। सांस लेने में भी तकलीफ और अधिक खांसी आती रहती है। यह बीमारी मनुष्यों में पशुओं के साथ रहने और चारा डालने के वक्त फैल जाती है। बीमार पशु की तत्काल स्वास्थ्य जांच कराना तथा स्वस्थ्य पशु को बीमार जानवर से अलग रखना चाहिए।
ग्लैंडर्स संक्रमण बाराबंकी के चार घोड़ों में पाया गया है। रिपोर्ट कुछ संदिग्ध लग रही है, फिर से जांच के लिए सैंपल भेज दिया गया है। - डा. जेएन पांडेय, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, बाराबंकी।

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