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    यूपी में नए तरीके से लागू होगा गैंगस्टर कानून, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी

    Updated: Thu, 12 Dec 2024 11:50 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गैंगस्टर कानून लागू करने को लेकर दिशा निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। राज्य सरकार गैंगस्टर कानून के तहत दर्ज किए गए मौजूदा आपराधिक मामलों की समीक्षा कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार को जांच करनी चाहिए कि यह कानून कहां लागू होना चाहिए और कहां लागू नहीं होना चाहिए।

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    उप्र में गैंगस्टर कानून लागू करने को लेकर नया दिशा निर्देश लगभग तैयार।

    पीटीआई, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गैंगस्टर कानून लागू करने को लेकर दिशा निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। दिशा निर्देश जल्द तैयार होने वाला है। राज्य सरकार गैंगस्टर कानून के तहत दर्ज किए गए मौजूदा आपराधिक मामलों की समीक्षा कर सकती है। 

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    सरकार को जांच करनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

    सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा, उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां रोकथाम कानून के कुछ प्रावधान कठोर प्रतीत होते हैं। सरकार को जांच करनी चाहिए कि यह कानून कहां लागू होना चाहिए और कहां लागू नहीं होना चाहिए।

    इसके जवाब में, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा, अदालत के पहले के आदेश के अनुपालन में सरकार उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां रोकथाम कानून के प्रावधानों को लेकर नए दिशा निर्देश तैयार कर रही है। यह लगभग तैयार है और हम इसे लागू करेंगे। मौजूदा मामलों की भी जांच की जाएगी कि यह कानून लागू होना चाहिए या नहीं। 

    जनवरी में होगी मामले की अगली सुनवाई

    पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की दलील को दर्ज किया। मामले की सुनवाई जनवरी में होगी। शीर्ष अदालत गोरख नाथ मिश्रा की याचिका पर विचार कर रही है। याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के मई 2023 के आदेश को चुनौती दी गई है। 

    याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से अनुरोध किया था कि उत्तर प्रदेश गैंगस्टर अधिनियम के तहत दर्ज मामले में कासगंज की जिला अदालत में उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद कर दिया जाए, लेकिन हाई कोर्ट ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी। 

    शीर्ष अदालत में अधिनियम की वैधता को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गईं जिन पर विभिन्न पीठों द्वारा सुनवाई की जा रही है। इससे पहले चार दिसंबर को जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने भी इस कानून को बेहद सख्त करार दिया था। 

    दो से 10 साल तक की कैद का प्रावधान

    1986 में बनाए गए इस कानून में दो से 10 साल तक की कैद और न्यूनतम पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। हालांकि, किसी सरकारी कर्मी या सरकारी कर्मी के परिवार के सदस्य के खिलाफ अपराध में कम से कम तीन साल की जेल की सजा हो सकती है। किसी गैंगस्टर की मदद करने वाले सरकारी कर्मी को तीन से 10 साल की जेल की सजा हो सकती है।

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