गणेश चतुर्थी के लिए चंद्रोदय रात 9.06 बजे से होगा
गणेश चतुर्थी तिथि 10 अगस्त को रात 11.27 बजे लग रही है जो 11 अगस्त को रात 10.35 तक रहेगी। चंद्रोदय रात 9.06 बजे होगा।
लखनऊ (जेएनएन)। सनातन धर्म में भाद्र कृष्ण चतुर्थी अर्थात संकष्टी (बहुला) श्रीगणेश चतुर्थी का विशेष स्थान है। इस व्रत को उसी चतुर्थी में करना चाहिए जो चंद्रमा के उदय में व्याप्त हो। कारण यह कि संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा में भाद्र कृष्ण चौथ में चंद्रमा का उदय होने पर विघ्न विनाशक प्रथम पूज्य गणेशजी के साथ ही चंद्रमा पूजन और अघ्र्य देने का भी विधान है। यह व्रत पूजा चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी में की जाती है। इस बार गणेश चतुर्थी व्रत 11 अगस्त को पड़ रहा है।
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काशी में ज्योतिषाचार्य ऋषि द्विवेदी के अनुसार चतुर्थी तिथि 10 अगस्त को रात 11.27 बजे लग रही है जो 11 अगस्त को रात 10.35 तक रहेगी। चंद्रोदय रात 9.06 बजे होगा। तिथि विशेष पर प्रात: स्नानादि कर हाथ में जल-अक्षत-पुष्प लेकर मास, पक्ष, तिथि का उच्चारण कर 'पुत्र-पौत्र, धन- विद्या-ऐश्वर्य तथा सभी प्रकार के कष्टों की निवृत्ति के लिए मैं संकष्टी व्रत का संकल्प करूंगा या करूंगी' संकल्प करना चाहिए। गणेश पूजन कर व्रत रहते हुए सायंकाल चंद्रोदय के समय गणेशजी का पंचोपचार पूजन व चंद्रमा का पूजन कर गणेश जी को नैवेद्य में लड्डू, दुर्वा, काला तिल गुड़, ऋतु फल इत्यादि समर्पित करना चाहिए। चंद्रोदय होने पर यथा विधि चंद्रमा पूजन, क्षीर सागर आदि मंत्रों से अघ्र्यदान करना चाहिए। रोहिणी सहित चंद्रमा को भी नमस्कार है। ऐसा करने से व्रतियों की सभी मनोकामना पूरी होती है। पुत्र-पौत्रादि की दीर्घायु के साथ ही पुत्रादि का सुख भी प्राप्त होती है।
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