Ganesh Chaturthi 2022: गणेश चतुर्थी पर भूल से भी न देखें चांद, गलती पड़ सकती है भारी
गणेश चतुर्थी पर जहां एक तरफ बड़े ही धूम-धाम के साथ घर-घर गणपति विराजते हैं और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है वहीं दूसरी तरफ ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चंद्रमा के दर्शन करने की मनाही होती है।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। भगवान गणेश को संकट हरने वाला और सभी बाधाओं को दूर करने वाला देवता माना जाता है। भाद्र पद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी पर जहां एक तरफ बड़े ही धूम-धाम के साथ घर-घर गणपति विराजते हैं और विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है वहीं दूसरी तरफ ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चंद्रमा के दर्शन करने की मनाही होती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करने पर व्यक्ति कलंक का भागी बनता है। इसके पीछे पौराणिक कथा है जिसके कारण चांद के दर्शन करने पर कलंक लगता है।
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पंडित शिवकुमार शास्त्री के मुताबिक, भाद्रपद की शुक्लपक्ष की चतुर्थी को चंद्र दर्शन करना वर्जित माना गया है। इस दिन चन्द्रमा के देखने से झूठा कलंक प्राप्त होता है। अगर किसी जातक ने इस दिन चन्द्र दर्शन कर ही लिया तो वह स्यमन्तक मणि (राजा सत्राजित की कथा) श्रवण करके झूठे कलंक से बच सकता है। भगवान गणेश को मोदक (लड्डू) सबसे प्रिय है। इसलिए गणेश जी काे भोग में मोदक लड्डू का भोग लगावे।
इसके पीछे की कथा : अनंत चतुर्दशी के दिन चंद्र दर्शन से पाप लगता है। पौराणिक मान्यता है कि जब गणपति जी को गज मुख लगाया गया और पृथ्वी की सबसे पहले परिक्रमा की तब वे प्रथम पूज्य कहलाए। ऐसे में सभी देवताओं ने उनकी वंदना की, परंतु चंद्र देव मंद मंद मुस्कुराते रहे क्योंकि चंद्र देव को अपने सौंदर्य पर घमंड हो गया था और देवताओं की तरह चंद्रमा ने गणेश जी की वंदना नहीं की तो गणेश जी को गुस्सा आ गया।
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गणेश जी ने गुस्से में आकर चंद्रमा को श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे। फिर चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेश जी से क्षमा मांगी, तो गणेश जी ने कहा कि जैसे जैसे सूर्य की किरणें उन पर पड़ेगी चमक लौट आयेगी। लेकिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का यह दिन आपको दंड की हमेशा याद दिलाएगा। जो व्यक्ति इस दिन चंद्रमा का दर्शन करेगा उस पर झूठा आरोप लगेगा।
अनंत चतुदर्शी यानी कि नौ सितंबर को गणेश विर्जजन किया जाएगा। इस साल गणेश चतुर्थी पर बहुत खास योग बन रहा है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि का आरंभ 30 अगस्त को दोपहर 3:34 पर होगा। वहीं चतुर्थी तिथि अगले दिन 31 अगस्त को दोपहर 3:23 पर समाप्त हो जाएगी। गणेश उत्सव की शुरुआत इस साल बुधवार के दिन से हो रही है और बुधवार का दिन गणपति जी को समर्पित है।
साथ ही गणेश चतुर्थी पर रवि योग का संयोग भी बन रहा है। प्रथम पूजनीय गणेश जी आराधना से सारे विघ्न दूर हो जाते है। मान्यता है कि भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से इस माह की चतुदर्शी तिथि यानी कि 10 दिनों तक भगवान गणेश पृथ्वी पर वास करते हैं। गणेश चतुर्थी पर जगह-जगह पंडाल और घरों में गणेश को स्थापित किया जाता है।
कहते हैं कि जो व्यक्ति इन दिनों में गणेश जी को घर में बैठाकर सच्चे मन से उनकी आराधना करता है उसके जीवन से तनाव खत्म हो जाता है। सुख-समृद्धि आती है भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को प्रथम पूज्य देव भगवान गणेश का मध्याह्न के समय जन्म हुआ था। इस वर्ष मध्याह्न पूजा समय प्रातः 10ः50 से दिन 1ः23 तक है। भगवान गणेश विध्नहरता व बुद्धि के देवता है। इनका वाहन मूषक है और ऋद्धि तथा सिद्धि इनकी दो पत्नियां है।
श्री गणेश की उपासना से कार्यो में सफलता मिलती है। विघ्न दूर होते है। वहीं ज्ञान व बुद्धि में वृद्धि होती है तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। गणेश चतुर्थी के दिन गणेश प्रतिमा पर सिन्दूर चढ़ाना चाहिए तथा मोदक का भोग लगाना चाहिए।

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