Move to Jagran APP

एक दुर्दांत अपराधी था मुख्तार अंसारी; पूर्व डीजीपी ने माफिया को 'राबिनहुड' कहे जाने पर जताई कड़ी आपत्ति

Former DGP Vikram Singh Said On Mukhtar Ansari मुख्तार समेत तीनों के विरुद्ध पोटा अधिनियम के अंतर्गत कार्रवाई की गई। तत्कालीन सरकार ने न केवल मुख्तार पर लगा पोटा वापस लिया बल्कि शैलेंद्र सिंह को इतना प्रताड़ित किया कि उन्होंने 11 फरवरी 2004 को त्यागपत्र दे दिया। संदेश स्पष्ट था कि मुख्तार की तरफ कोई आंख उठाने की हिम्मत न करे।

By Alok Mishra Edited By: Abhishek Saxena Published: Tue, 02 Apr 2024 10:19 PM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2024 10:19 PM (IST)
पूर्व डीजीपी ने माफिया को ''राबिनहुड'' कहे जाने पर जताई कड़ी आपत्ति

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। माफिया मुख्तार अंसारी एक दुर्दांत अपराधी था। पूर्व डीजीपी डा.विक्रम सिंह मुख्तार के लिए 'गरीबों का मसीहा' व 'राबिनहुड' कहे जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हैं। कहते हैं कि मुख्तार अंसारी की हार्टअटैक से बांदा मेडिकल कालेज में मृत्यु हो गई। उसके परिवार वालों का

loksabha election banner

आरोप है कि मुख्तार को स्लो प्वाइजन दिया गया था, जिससे मौत हुई। इसकी न्यायिक जांच प्रारंभ हो चुकी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप जांच हो रही है। ऐसे में मुख्तार को अलग-अलग अलंकरणों से सुशोभित किया जाना, कतई उचित नहीं।

राजनीति, तुष्टीकरण का निचले स्तर तक जा पहुंचा 

चिंता का विषय तो यह है कि एक घोषित अपराधी व गैंगस्टर मुख्तार के अंतिम संस्कार में देशभर के राजनेता इकट्ठा हुए और उसको राबिनहुड, गरीबों का हमदर्द व ऐसी अन्य उपाधियों से नवाजा गया। यह दिखाता है कि राजनीति, तुष्टीकरण किस निचले स्तर तक तक जा चुका है।

ये भी पढ़ेंः UP Politics: जिन आठ बार के सांसद का बरेली से कटा टिकट, सीएम योगी की मौजूदगी में मंच से उन्होंने कही ये बात

इनमें से एक ने भी भारत के लोकप्रिय पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम के अंतिम संस्कार में उनकी प्रतिभा के लिए दो शब्द तक नहीं कहे और न ही श्रद्धांजलि दी। स्पष्ट है कि भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम के जनाजे में जाने में कोई राजनीतिक लाभ नहीं था, बल्कि मुख्तार के जनाजे में शिरकत करने में राजनीतिक लाभ और स्वार्थ सिद्धि दृष्टिगोचर है। ऐसे लोगों को अंतर मंथन की आवश्यकता है।

ये भी पढ़ेंः Lok Sabha Election: अरुण गोविल ने किया नामांकन, जानिए 'रामायण के राम' को, कितनी संपत्ति के हैं मालिक, बेदाग छवि शस्त्र भी नहीं

धनबल और बाहुबल से कानून से बचता रहा

लोगों को भी ऐसे तत्वों को चिन्हित कर उनके बारे में निर्णय करना होगा। सच तो यह है कि मुख्तार अपने धनबल और बाहुबल के चलते कानून की गिरफ्त से बचता रहा। उसके विरुद्ध 66 जघन्य अपराध पंजीकृत थे। मुख्तार के विरुद्ध जब पहला मुकदमा दर्ज हुआ, तब उसकी उम्र 15 वर्ष थी। वह एक शातिर अपराधी बना और बाहुबल के बलबूते मुख्तार पांच बार विधायक बना। तीन बार जेल में रहते हुए चुनाव में जीत हासिल की।

पुलिस अधिकारी को देना पड़ा इस्तीफा

राजनीतिक संरक्षण ने ही उसे एक संगठित अपराधी और माफिया बनाया। वर्ष 2004 में ईमानदार पुलिस उपाधीक्षक शैलेंद्र सिंह को मुख्तार से प्रताड़ित होकर ही त्यागपत्र देना पड़ा था। 25 जनवरी, 2004 को एसटीएफ के पुलिस उपाधीक्षक को पता चला था कि मुख्तार लाइट मशीन गन खरीदने की डील कर रहा है, जिससे वह कृष्णानंद राय की हत्या करना चाहता था।

सुरक्षा कारणों से कृष्णानंद राय बुलेटप्रूफ गाड़ी से चलते थे, जिसे लाइट मशीन गन ही भेद सकती थी। मुख्तार ने इस गन का सौदा एक करोड़ रुपये में तय किया था। शैलेंद्र सिंह ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी दी, तो पुलिस ने मुख्तार से डील कर रहे बाबूलाल यादव व मुंदर यादव दोनों को गिरफ्तार कर लिया था। 

वर्तमान शासनकाल में पहली बार हुई सजा

पूर्व डीजीपी कहते हैं कि वर्तमान योगी सरकार आने के बाद जिस तरह प्रदेश के चिन्हित माफिया पर नकेल कसी गई, ठीक उसी तरह उनमें शामिल मुख्तार पर भी शिकंजा कसा। उसकी 586 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गईं। आठ मामलों में मुख्तार को न्यायालय द्वारा सजा भी सुनाई गई, जिनमें दो मामलों में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। यह संतोष का विषय है।

यह सफल पैरवी का ही परिणाम है कि वर्तमान में कई कुख्यात अपराधियों को कोर्ट द्वारा सजा मिल रही है। कुछ लोग निजी स्वार्थ के चलते यह आरोप लगाते हैं कि केवल जाति विशेष के अपराधियों पर कार्रवाई हो रही है। वास्तविकता यह है कि बिना जाति, धर्म, संप्रदाय देखे कानून की परिधि में कार्रवाई हुई। जिसने कानून की लक्ष्मण रेखा पार की उसके विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट के तहत चल-अचल संपत्ति कुर्क करने के साथ ही प्रभावी अभियोजन के माध्यम से दंडात्मक कार्यवाही भी सुनिश्चित कराई गई।

घर से लेकर जेल तक लगाता था दरबार

पूर्व डीजीपी कहते हैं कि मुख्तार जहां रहता था, उसे फाटक के नाम से जाना जाता था, जहां अपराधियों का जमावड़ा रहता था। गाजीपुर जेल में बंद रहने के दौरान मुख्तार को पूरा राजनीतिक संरक्षण था। जेल की बैरक नंबर 10 में मुख्तार पूरी सुविधा के साथ रहता था। जेल में एक तालाब खोदा गया था, जिससे उस तक ताजी मछली पहुंचती रहे। बैडमिंटन कोर्ट की भी व्यवस्था की गई थी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन होने पर मुख्तार ने पंजाब में एक झूठी एफआइआर दर्ज करवाकर बड़ा खेल किया। इसके बाद पंजाब की रोपड़ जेल उसकी आरामगाह बन गई थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.