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    UP में आतंकियों की गिरफ्तारी पर सियासत से आहत पूर्व DGP, बोले- पुलिस पर भरोसा नहीं तो सुरक्षा वापस कर दें नेता

    लखनऊ में दो आतंकियों की गिरफ्तारी को लेकर तेज होती सियासत के बीच पुलिस पर भरोसे का सवाल भी उठ रहा है। बयानों से आहत पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह कहते हैं कि जो नेता कहते हैं कि पुलिस पर भरोसा नहीं है उन्हें अपनी सुरक्षा वापस कर देनी चाहिए।

    By Umesh TiwariEdited By: Updated: Wed, 14 Jul 2021 08:40 AM (IST)
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    यूपी में आतंकियों की गिरफ्तारी पर सियासत से आहत पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह और बृजलाल।

    लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। लखनऊ में दो आतंकियों की गिरफ्तारी को लेकर तेज होती सियासत के बीच पुलिस पर भरोसे का सवाल भी उठ रहा है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान से आहत उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह कहते हैं कि जो नेता कहते हैं कि पुलिस पर भरोसा नहीं है, उन्हें अपनी सुरक्षा वापस कर देनी चाहिए। उनका कहना है कि इस तरह एटीएस की कार्रवाई पर सवाल उठाना गलत है।

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    पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं कि एटीएस कोर्ट में आरोपितों को पेश कर चुकी है और कोर्ट ने ही उनकी पुलिस रिमांड मंजूर की है। एटीएस के पास जरूर साक्ष्य होंगे। उत्तर प्रदेश ही नहीं दूसरे राज्यों में भी कुछ संगठन एटीएस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठाते हैं, पर वहां ऐसी सियासत नहीं होती।

    उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि महाराष्ट्र, बंगाल व अन्य राज्यों में भी आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए एटीएस गठित है और आतंकियों के मंसूबे नाकाम करती रहती है। सवाल तो यह है कि एटीएस की कार्रवाई पर सवाल और सिसायी बवंडर कहां खड़ा किया जा रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले ऐसे संवेदनशील मामले में सियासी रंग चढ़ाने के प्रयास क्यों किए जा रहे हैं।

    विक्रम सिंह कहते हैं कि दूसरे राज्यों में जब एटीएस आतंकियों को दबोचती है, तब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बसपा प्रमुख मायावती व अन्य नेता उस कार्रवाई पर संदेह जताने से गुरेज क्यों करते हैं। इसके पीछे बंगाल में ममता बनर्जी और केरल में कम्युनिस्ट दलों के लिए सियासी नरमी है या फिर उत्तर प्रदेश में भाजपा पर हमले का कोई मौका न चूकने की गणित के सवाल भी उठ रहे हैं।

    उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृजलाल कहते हैं कि यूपी में कचहरी सीरियल ब्लास्ट की साजिश रचने वाले आतंकियों का मुकदमा वापस लेने का प्रयास सपा शासनकाल में किया गया था। इसी मामले को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने भी तुष्टीकरण की राजनीति की थी। ऐसे गंभीर मामलों में कानून को पहले अपना काम करने देना चाहिए। ऐसी सियासत को जांच एजेंसियों का मनोबल तोड़ने का प्रयास समझा जाना चाहिए।

    बता दें कि विपक्षी दलों के हमले के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है कि आतंकवादियों का समर्थन व पोषण सपा व अन्य विपक्षी दलों का एजेंडा रहा है। वहीं सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि चुनाव का मौका है, जो भी जांच हो सही हो। यह भाजपा का राजनीतिक एजेंडा भी रहा है। लिहाजा मामले की गहनता से जांच होनी चाहिए। पकड़े गए आरोपी दोषी हैं तो उन्हें कठोर सजा मिले अन्यथा साजिशकर्ताओं पर कार्रवाई हो।