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    बलरामपुर के पूर्व सांसद रिजवान जहीर, बेटी और दामाद सहित छह गिरफ्तार, सपा नेता फिरोज पप्पू की हत्या का है आरोप

    By Vikas MishraEdited By:
    Updated: Mon, 10 Jan 2022 02:14 PM (IST)

    नगर पंचायत तुलसीपुर के पूर्व चेयरमैन फिरोज पप्पू की जघन्य हत्या का राजफाश पुलिस कुछ ही देर में करने वाली है। हत्याकांड में शामिल पूर्व सांसद रिजवान जहीर उनकी बेटी जेबा रिजवान व दामाद रमीज समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

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    रिजवान, जेबा व रमीज को ललिया थाना में लाया गया है।

    बलरामपुर, जागरण संवाददाता। तुलसीपुर नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन फिरोज पप्पू की बढ़ती लोकप्रियता व समाजवादी पार्टी में सक्रियता ही उनकी जान की दुश्मन बन गई। विधानसभा चुनाव में सपा का टिकट पाने की होड़ में उनकी हत्या करा दी गई। पूर्व सपा सांसद रिजवान जहीर की बेटी जेबा के टिकट की राह में फिरोज रोड़ा बने थे। इस पर जेबा के पति रमीज ने उन्हें रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली। पूर्व चेयरमैन को मौत के घाट उतारने वाले जरवा मार्ग निवासी महफूज, हर्रैया के इमिलिया गनेशपुर हाल पता जरवा मार्ग निवासी मेराजुल हक उर्फ मामा व जेठवारा प्रतापगढ़ निवासी शकील पुलिस के हत्थे चढ़े तो पूरी कहानी साफ हो गई। पुलिस ने पूर्व सपा सांसद, उनकी बेटी व दामाद को भी गिरफ्तार कर लिया है। आरोपितों के पास से 32 बोर पिस्टल, दो जिंदा कारतूस, लोहे की राड व सात मोबाइल फोन बरामद हुए हैं।

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    पुलिस अधीक्षक हेमंत कुटियाल ने बताया कि चार जनवरी को रात करीब 10.20 बजे पूर्व चेयरमैन फिरोज पप्पू के घर के पास उनकी हत्या कर दी गई थी। पूर्व सपा सांसद रिजवान जहीर के दामाद रमीज व मेराजुल ने कई बार फिरोज को चुनाैती देते हुए इंटरनेट मीडिया पर टिप्पणी की थी। फिरोज की लोकप्रियता बढ़ती जा रही थी। पूर्व सांसद अपनी बेटी जेबा को सपा का टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत थे। फिरोज को तुलसीपुर क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों का समर्थन था। घटना से पूर्व दोनों पक्ष सपा के टिकट की पैरवी के लिए लखनऊ गए थे। इसी राजनैतिक विद्वेष में रिजवान, जेेबा, रमीज व शकील ने पूर्व चेयरमैन की हत्या का षड़यंत्र बनाया। इस कार्य के लिए उन्होंने अपने नजदीकी मेराजुल व महफूज को लगाया।

    चार जनवरी की शाम जब फिरोज अपने मित्र शाहिद के साथ घर से निकले थे, तभी से मेराजुल व महफूज घात लगाकर गली में बैठ गए। रात में फिरोज अपने घर की तरफ पैदल जाने लगे तभी महफूज ने पीछे से उन पर लोहे की राड से हमला कर दिया। उनके नीचे गिरते ही ताबड़तोड़ छह वार किए। मेराजुल ने चाकू से गला रेत दिया। घटना के बाद मेराजुल ने रमीज को सूचना दी और रिजवान जहीर की कोठी पर जाकर रुक गया था। गिरफ्तारी करने वाली टीम में प्रभारी निरीक्षक तुलसीपुर अवधेश कुमार, रेहराबाजार थाना प्रभारी जयदीप दुबे, पचपेड़वा थानाध्यक्ष आलोक राय, उपनिरीक्षक विजय सिंह, किसलय मिश्र व मुख्य आरक्षी छोटेलाल शामिल रहे। सीसी कैमरा चेकिंग टीम के उपनिरीक्षक अनिल दीक्षित, पूर्णेश पांडेय, शोभित, राहुल श्रीवास्तव, स्वाट एवं सर्विलांस टीम के निरीक्षक श्याम लाल यादव, गुरुसेन सिंह, हेड कांस्टेबल देवेंद्र सिंह, बिरजू कुमार, अखिलेश कुमर, रोहित शुक्ल, सुशील सिंह, राजू सिंह का विशेष योगदान रहा। 

    एक माह पहले बनी थी योजना : पुलिस का दावा है कि फिरोज के हत्या की योजना एक माह पहले बनाई गई थी। तीन बार फिरोज को मारने का प्रयास किया गया, परंतु हर बार असफल रहे। वजह, कोई न कोई फिरोज के साथ रहता था। हमलावर फिरोज के अकेले होने का इंतजार कर रहे थे।

    पुलिस ने खंगाले 250 सीसी कैमरा फुटेज : मृतक पूर्व चेयरमैन के भाई अफरोज अहमद उर्फ रिंकू की तहरीर पर अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। अपर पुलिस अधीक्षक नम्रता श्रीवास्तव के निर्देशन में क्षेत्राधिकारी तुलसीपुर कुंवर प्रभात सिंह, सीओ सिटी वरुण कुमार मिश्र व सीओ उतरौला के नेतृत्व में 10 टीमों का गठन किया गया। तुलसीपुर में लगे करीब 250 सीसी कैमरा फुटेज एकत्र किए गए। पुलिस टीम ने 100 से अधिक लोगों से पूछताछ कर उनके मोबाइल नंबरों का विश्लेषण किया। घटना के छठवें दिन हत्याकांड का राजफाश कर दिया गया। 

    पंचायत चुनाव में पूर्व सांसद पर लगा था एनएसए : एसपी ने बताया कि पूर्व सांसद रिजवान जहीर पर गुंडा एक्ट समेत 14 अभियोग पूर्व में दर्ज हो चुके हैं। वर्ष 2021 के पंचायत चुनाव के दौरान आगजनी व बलवा के आरोप में मुकदमा दर्ज कर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की गई थी। इस प्रकरण में वह दामाद रमीज के साथ कुछ समय जेल में भी थे। अधिकांश मुकदमों में वह न्यायालय से बरी हो चुके हैं।

    तीन बार विधायक व दो बार रहे सांसद : रिजवान जहीर तीन बार विधायक व दो बार सांसद रह चुके हैं। पहली बार 1989 में तुलसीपुर से निर्दल विधायक बने। 1991 के चुनाव में हार गए। 1993 में सपा व 1996 में बसपा से विधायक चुने गए। वर्ष 1998 व 1999 में सपा का दामन थामकर बलरामपुर सांसद बने। 2004 में बसपा के टिकट से चुनाव लड़कर लोकसभा चुनाव हार गए थे।