लखनऊ को आक्सीजन का हब बनाएगा वन विभाग, 75 जगहों पर एक साथ लगेंगे पीपल, बरगद और पाकड़ के पौधे
धार्मिक परंपराओं के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से उपयोगी माने जाने वाले हरिशंकरी पेड़ अब हम सब के साथी भी बनेंगे। आक्सीजन हब के रूप में खास पहचान रखने ...और पढ़ें

लखनऊ, [अजय श्रीवास्तव]। धार्मिक परंपराओं के साथ ही पर्यावरण की दृष्टि से उपयोगी माने जाने वाले हरिशंकरी पेड़ अब हम सब के साथी भी बनेंगे। आक्सीजन हब के रूप में खास पहचान रखने वाले हरिशंकरी के पेड़ों को अब लखनऊ में भी पर्याप्त जगह दी जा रही है। अभी तक अलग-अलग ही पौधे लगाए जाते थे, अब 75 जगहों पर हरिशंकरी पर्यावरण के रक्षक बनेंगे।
पीपल, पाकड़ और बरगद के पौधे से तैयार होने वाले हरिशंकरी वृक्षों को अलग-अलग क्षेत्रों में लगाया जाना है। इसके लिए आठ अगस्त से पीपल, पाकड़ और बरगद को लगाने का अभियान चलेगा, जिसे लगाने का तरीका भी अलग है और बाद में तीनों एक दूसरे से जुड़ जाते हैं।
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इसलिए खास है हरिशंकरी :
- पीपल- सर्वाधिक आक्सीजन देने वाला
- बरगद- जैव विविधता को आश्रय देने वाला
- पाकड़ या पिलखन- सर्वाधिक शीतल छाया देने वाला पौधा
ऐसे लगेंगे पौधे : पीपल, बरगद और पाकड़ के पौधों को एक मीटर के बड़े भाग में एक से डेढ़ फिट की दूरी पर त्रिकोण में बने तीन छोटे थाल (जहां पानी रोका जा सके) में लगाया जाएगा। बड़ा होने पर तीनों पौधों के तने मिलकर एक ताना बनकर सघन छायादार वृक्ष बन जाएंगे, जो हरिशंकरी कहलाते हैं।
धार्मिक मान्यता भी है इसकी : हिंदू मान्यता के अनुसार, पीपल को विष्णु, बरगद को शंकर और पाकड़ को ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। मत्स्य पुराण के अनुसार, पार्वती जी के श्राप वश विष्णु पीपल, शंकर बरगद और ब्रह्मा पाकड़ बन गए थे। पौराणिक मान्यता में पाकड़ वनस्पति जगत का अधिपति और नायक है और याज्ञिक कार्यों के लिए श्रेष्ठ छायादार वृक्ष माना जाता है।

'पहले हरिशंकरी के वृक्ष कम लगते थे लेकिन समय ने इसकी महत्व बढ़ा दी है। आजादी के 75वें महोत्सव को लेकर लखनऊ में 75 जगहों पर हरिशंकरी पौधे रोपे जाएंगे। हर जगह पीपल, बरगद और पाकड़ का पौधे इस तरह से रोपा जाएगा, जो बाद में आपस में मिलकर एक हो सकें। आठ से 15 अगस्त के बीच हरिशंकरी सप्ताह मनाया जा रहा है। इस अभियान में समाज के सभी वर्ग को जोड़ा जा रहा है, जिससे हरिशंकरी पौधों को सुरक्षा भी मिल सके। - डा. रवि कुमार सिंह, डीएफओ

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