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उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में दो फीसद से कम रह गया वन क्षेत्र, वर्ष 2030 तक हरित आवरण 15 फीसद करने का लक्ष्य

उत्तर प्रदेश के केवल नौ जिले संभाले हैं सूब की हरियाली का भार 30 जिलों में दो फीसद से भी कम रह गई हरियाली।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 06:07 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:51 PM (IST)
उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में दो फीसद से कम रह गया वन क्षेत्र, वर्ष 2030 तक हरित आवरण 15 फीसद करने का लक्ष्य
उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में दो फीसद से कम रह गया वन क्षेत्र, वर्ष 2030 तक हरित आवरण 15 फीसद करने का लक्ष्य

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। वन विभाग द्वारा सूबे में वर्ष 2030 तक हरित आवरण बढ़ाकर 15 फीसद करने का लक्ष्य तय किया गया है। चूंकि भूमि सीमित है इसलिए हरित आवरण बढ़ाने के लिए वन क्षेत्रों के साथ-साथ सामाजिक वानिकी व खुले क्षेत्रों में भी पौधरोपण कर इस लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश की जा रही है। खास बात यह है कि सूबे के 30 जिले ऐसे है जहां वन क्षेत्र हर जिले में कुल भूभाग के दो फीसद से भी कम है। यही नहीं, आधा दर्जन जिलों में स्थिति और भी खराब है। ऐसे में फिलहाल इन जिलों को  पौधरोपण के जरिए  हरियाली के वृहद आवरण से आच्छादित कर वन विभाग के 15 फीसद के लक्ष्य को हासिल कर पाना  एक बड़ी चुनौती होगा।

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 प्रदेश के जिन 30 जिलों में  हरियाली बहुत कम है, उनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 13 जिले शामिल हैं। ये जिले अलीगढ़, बागपत, बरेली,बदायूं, एटा, गौतम बुध नगर, कन्नौज, हाथरस, मैनपुरी, मथुरा, मुरादाबाद,मुजफ्फरनगर और शाहजहांपुर हैं।

 इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के 14 जिलों में भी  वनावरण 2 फीसद से कम है। इनमें अंबेडकरनगर, आजमगढ़, बलिया, बस्ती, देवरिया,गाजीपुर, जौनपुर, कौशांबी,कुशीनगर,मऊ, संत कबीर नगर, संत रविदास नगर, वाराणसी व सिद्धार्थनगर शामिल  हैं। वहीं सेंट्रल यूपी के तीन जिले बाराबंकी, फतेहपुर और कानपुर देहात भी  शामिल हैं। इन सभी में वन क्षेत्र दो फीसद से कम है जो प्रदेश को हरा-भरा करने के समक्ष बड़ी चुनौती है। संत रविदास नगर की हालत सबसे खराब है जहां वन क्षेत्र जिले के कुल भूभाग का 0.31 फीसद  है। मैनपुरी में भी हालात अच्छे नहीं है। यहां भी कुल भूभाग का मात्र 0.49 फीसद ही वन क्षेत्र है।  पर्यावरणविद डॉ पी के श्रीवास्तव कहते हैं कि हर साल बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया जाता है। वन विभाग को चाहिए कि पौधरोपण की योजना बनाने से पूर्व मैपिंग कर इस बात का पता लगाया जाए कि कहां पर पौधरोपण की अच्छी गुंजाइश है। जहां वनावरण कम है सघन पौधरोपण कर जंगल को घने वन में तब्दील करना जरूरी है। प्रदेश के 30 जिले जहां वनावरण कम है उन्हें प्राथमिकता पर लेना होगा।

नौ जिलों में वनावरण 15 फीसद से अधिक

 प्रदेश के नौ जिले हरित आवरण में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। बताते चलें कि प्रदेश का वनावरण प्रदेश के कुल भूभाग का 6.14 फीसद है। वहीं  वृक्षावरण 3.05  प्रतिशत है। इस प्रकार राज्य में वन क्षेत्र और वृक्षावरण मिलाकर कुल हरित कवच 9.19 फीसद है।

  • सोनभद्र अकेला ऐसा जिला है  जहां हरित आवरण भू भाग के एक तिहाई मानक से अधिक 36.79 प्रतिशत वन क्षेत्र से आच्छादित है ।
  • शेष आठ जिलों में भी स्थिति काफी अच्छी है। चंदौली में 22.25 फीसद, पीलीभीत में 18.64, मिर्जापुर में 18.25, चित्रकूट में 18.23, श्रावस्ती में 17.35, खीरी में 16.58, बलरामपुर में 15.71 तथा लखनऊ में 15 फीसद भू भाग वनावरण से घिरा है।

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