सड़क हादसे रोकने में देश में पहली बार होगा AI का प्रयोग, उत्तर प्रदेश से शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की एआइ और बिग-डाटा एनालिटिक्स आधारित सड़क -सुरक्षा पायलट परियोजना को एनओसी प्रदान कर दी है। परिवहन विभाग ने परीक्षण के आदेश दे दिए हैं। इसी वर्ष जनवरी से जून तक कुल 25830 सड़क दुर्घटनाओं से 14205 लोगों की मौत हुई है। इसका आज तक कोई विश्लेषण ही नहीं किया गया है।

निशांत यादव, जागरण, लखनऊ। सड़क दुर्घटनाओं के पीछे तकनीकी गड़बडि़यों का पता जल्द ही एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) से लगाया जा सकेगा। उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य बनेगा जहां एआइ और बिग-डाटा एनालिटिक्स आधारित मॉड्यूल दुर्घटना के न केवल सटीक कारणों का पता लगाएगा, बल्कि दुर्घटनाओं को रोकने में भी मदद करेगा।
परिवहन विभाग ने परीक्षण के आदेश दे दिए
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग की एआइ और बिग-डाटा एनालिटिक्स आधारित सड़क -सुरक्षा पायलट परियोजना को एनओसी प्रदान कर दी है। परिवहन विभाग ने परीक्षण के आदेश दे दिए हैं।
दरअसल, उत्तर प्रदेश सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले राज्यों में से एक है। इसी वर्ष जनवरी से जून तक कुल 25,830 सड़क दुर्घटनाओं से 14,205 लोगों की मौत हुई है। दुर्घटनाएं खराब रोड इंजीनियरिंग, मौसम की गड़बड़ी, ड्राइवरों की कमी या अन्य कारणों से हुईं। इसका आज तक कोई विश्लेषण ही नहीं किया गया है।
सड़क हादसों को लेकर कई बार चिंता जताई
यही कारण है कि कई स्थानों पर दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति होती रहती है। लखनऊ सहित 20 जिलों में पिछले वर्ष प्रदेश की 42 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इन सड़क हादसों को लेकर कई बार चिंता जताई है। उनकी पहल पर ही परिवहन विभाग ने एआइ आधारित सड़क सुरक्षा परीक्षण की योजना तैयार की।
यह परीक्षण सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई आइटीआइ लिमिटेड और वैश्विक टेक-पार्टनर एमलोजिका करेंगी। शासन ने पहले ही इसके लिए 10 करोड़ रुपये के बजट का प्रविधान किया है।
डाटा एकत्र कर दुर्घटना रिपोर्ट तैयार होगी
छह सप्ताह में बनेगी रिपोर्ट पायलट प्रोजेक्ट के तहत एआइ का उपयोग करते हुए प्रारंभिक प्रूफ ऑफ कंसेप्ट का चरण छह ?सप्ताह में पूरा करना होगा। इसके तहत डाटा एकत्र कर दुर्घटना रिपोर्ट तैयार कर उसे सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजा जाएगा।
दुर्घटना के कारणों का प्रत्येक पहलु पर विवरण एकत्र कर एआइ मॉडल तैयार किया जाएगा। इससे दुर्घटना के कारणों की पहचान करके ब्लैक स्पॉट की भविष्यवाणी की जा सकेगी। एआइ के इस माडल को परिवहन विभाग फेसलेस लाइसेंस प्रक्रिया, परमिट प्रणाली, प्रवर्तन आधुनिकीकरण, राजस्व वसूली, ई-चालान और वाहन-सारथी प्लेटफार्म में भी लागू करेगा।
सही कारणों का चलेगा पता
पूर्व अपर आयुक्त प्रवर्तन व सड़क सुरक्षा पुष्पसेन सत्यार्थी ने बताया कि अभी हादसों के बाद मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारी की मैन्युअल तरीके से लगाई गई रिपोर्ट को ही आधार माना जाता है। ऐसे में हादसों का असल कारण पता नहीं चलता है। विदेश में सड़क हादसे कम करने के लिए एआइ का उपयोग पहले से हो रहा है।
उत्तर प्रदेश के 17 शहरों में इसे लागू आइटीएमएस
इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आइटीएमएस) वाले उत्तर प्रदेश के 17 शहरों में इसे लागू किया जा सकता है। इसके बाद अधिक हादसों वाले दूसरे जिलों को चिह्नित कर वहां एआइ का उपयोग किया जा सकता है।
परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कही ये बात
आने वाले समय में यदि बिना हेलमेट कोई चालक खड़ा है तो एआइ सिग्नल ग्रीन होने से रोक सकता है। परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा कि एआइ से सड़क दुर्घटनाओं के सही कारणों का पता लगाकर इसमें कमी लाने में मदद मिलेगी।
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