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    उत्‍तर प्रदेश के 19 जिलों के पौने पांच करोड़ लोगों को आज से खिलाई जाएंगी फाइलेरिया रोधी दवाएं, 27 तक चलेगा अभियान

    By Prabhapunj MishraEdited By:
    Updated: Thu, 12 May 2022 09:41 AM (IST)

    फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है। इसे हाथी पांव के नाम से भी जाना जाता है। मच्छर जब किसी फाइलेरिया के मरीज को काटकर किसी दूसरे व्यक्ति को काट ले तो दूसरा व्यक्ति भी फाइलेरिया की जद में आ सकता है।

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    फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला संक्रामक रोग है

    लखनऊ, राज्य ब्यूरो । फाइलेरिया के लिहाज से संवेदनशील प्रदेश के 19 जिलों में गुरुवार 12 मई से 27 मई तक फाइलेरिया रोधी दवा खिलाई जाएगी। सरकार ने इसे मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) नाम दिया है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक वर्चुअल रूप से करेंगे। इस दौरान करीब पौने पांच करोड़ लोगों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जाएंगी। इस अभियान को सफल बनाने के लिए मीडिया कार्यशाला का भी आयोजन किया गया।

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    संयुक्त निदेशक फाइलेरिया एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी डा. विन्दु प्रकाश सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 19 जिलों गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, गाजीपुर, बहराइच, श्रावस्ती, गोंडा, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, सुल्तानपुर, रायबरेली और कौशाम्बी को चुना है। इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए स्वास्थ्यकर्मी घर-घर जाकर दवा खिलाएंगे।

    फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। ये साइलेंस रहकर शरीर को खराब करती है। यही कारण है कि इस बीमारी की जानकारी समय पर नहीं हो पाती। हालांकि सजगता से फाइलेरिया बीमारी से बचा जा सकता है। आप भी जानें कि इस रोग के क्‍या लक्षण हैं। चिकित्‍सक यहां यह भी बता रहे हैं कि इस घातक बीमारी से हम कैसे बच सकते हैं। इस खबर के माध्‍यम से हम आपको इस रोग से संबंधित पूरी जानकारी दे रहे हैं।

    फाइलेरिया के लक्षण : आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं। चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।

    ऐसे करें फाइलेरिया से बचाव

    - फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें।

    - पानी जमा न होने दें और समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। फुल आस्तीन के कपड़े पहनकर रहें।

    - सोते वक्त हाथों और पैरों पर व अन्य खुले भागों पर सरसों या नीम का तेल लगाएं।

    - हाथ या पैर में कही चोट लगी हो या घाव हो तो उसे साफ रखें। साबुन से धोएं और फिर पानी सुखाकर दवा लगाएं।