उत्तर प्रदेश भ्रमण के दौरान अयोध्या व वाराणसी का दौरा भी करेगी केंद्रीय वित्त आयोग की टीम
Finance Commission Team in UP केंद्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में 13 सदस्यीय टीम तीन जून को सुबह दिल्ली से अयोध्या पहुंचेगी। अयोध्या में विकास कार्यों का स्थलीय निरीक्षण व भ्रमण के पश्चात शाम को पूरी टीम लखनऊ आ जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ टीम की बैठक होगी।

राज्य ब्यूरो, जागरण, लखनऊ : उत्तर प्रदेश में भ्रमण के दौरान 16वें केंद्रीय वित्त आयोग की टीम अयोध्या और वाराणसी में विकास कार्यों को भी देखेगी। आयोग की टीम तीन जून को अयोध्या भ्रमण के बाद शाम को लखनऊ पहुंचेगी। टीम के साथ होने वाली बैठकों में राज्य सरकार द्वारा आयोग के समक्ष केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग रखी जाएगी। वर्ष 2015 तक राज्य को मिलती रही 19.7 प्रतिशत हिस्सेदारी फिर से दिए जाने की मांग पर सरकार का जोर रहेगा।
यूपी भ्रमण के प्रस्तावित कार्यक्रम के मुताबिक केंद्रीय वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में 13 सदस्यीय टीम तीन जून को सुबह दिल्ली से अयोध्या पहुंचेगी। अयोध्या में विकास कार्यों का स्थलीय निरीक्षण व भ्रमण के पश्चात शाम को पूरी टीम लखनऊ आ जाएगी।
चार जून को सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ टीम की बैठक होगी। इसके बाद दोपहर 12.30 से लोकभवन में ही आयोग की आयोग की टीम मीडिया से बातचीत करेगी। मीडिया ब्रीफिंग के बाद टीम होटल ताज चली जाएगी। लंच के बाद शाम चार बजे से होटल रेनेशा में चार बैठकें करेगी। यह बैठकें नगर विकास विभाग, पंचायती राज विभाग. राजनीतिक दलों के साथ ही औद्योगिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के साथ होगी।
पांच जून को सुबह टीम के सदस्य वाराणसी चले जाएंगे। वाराणसी में विकास योजनाओं का निरीक्षण व भ्रमण करेंगे। शाम को गंगा घाट भी जाएंगे। वाराणसी से पांच जून की रात को या फिर छह जून को सुबह आयोग की टीम वापस दिल्ली लौट जाएगी।
सरकार ने आयोग की टीम के राज्य में प्रवास के दौरान की जाने वाली व्यवस्थाओं को चाक चौबंद कर दिया है। अधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं। केंद्रीय वित्त आयोग द्वारा यदि उत्तर प्रदेश को 2015 के फार्मूले पर करों में हिस्सेदारी देने की सिफारिश कर दिया जाता है तो राज्य को केंद्रीय करों से मिलने वाली धनराशि में अच्छा खासा इजाफा हो जाएगा। राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के लिए तय 41 प्रतिशत धनराशि को और बढ़ाने की मांग भी रखी जाएगी। इस मांग के पूरा होने पर सभी राज्यों को इसका लाभ मिलेगा। सरकार क्षेत्र विशेष के लिए विशेष अनुदान की मांग भी कर सकती है।
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