Filariasis Treatment: यूपी में डब्ल्यूएचओ माडल पर अब 48 नहीं एक दिन की दवा से हो सकेगा फाइलेरिया का इलाज
लखनऊ, राज्य ब्यूरो। Filariasis Treatment फाइलेरिया (हाथी पांव) का इलाज अब 48 दिन की दवा के बजाए एक दिन की दवा से ही हो जाएगा। अभी तीन-तीन महीने पर 12-12 दिन यानी 48 दिन की दवा खिलाई जाती है। अब मरीज एक दिन की दवा खाकर ठीक होगा।
19 जिलों में हुए मास एडमिनिस्ट्रेटिव राउंड (एमडीए) राउंड की समीक्षा की गई। राजधानी में होटल हिल्टन में हुई समीक्षा बैठक में निदेशक, संचारी रोग डा. एके सिंह ने कहा कि फाइलेरिया को जड़ से समाप्त करने के लिए यूपी में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएसओ) का माडल अपनाया जाएगा।
डा. एके सिंह के मुताबिक अभी तक संक्रमित मरीज को 48 दिन दवा खानी पड़ती है लेकिन आगे एक दिन ही दवा खानी पड़ेगी। समीक्षा बैठक में गोरखपुर जिले में किए गए कार्य की सराहना की गई। बैठक में राज्य कार्यक्रम अधिकारी, फाइलेरिया डा. वीपी सिंह ने कहा कि के प्रति लोगों में अब तेजी से जागरूकता बढ़ी है। लोग फाइलेरिया की जांच कराने खुद आ रहे हैं।
फाइलेरिया उन्मूलन के लिए ब्लाक स्तर तक बनाई गई रणनीति कारगर साबित हो रही है। अगर हर साल फाइलेरिया से बचाव की दवा नियमित रूप से पांच साल लगातार खा ली जाए तो यह बीमारी नहीं हो सकती। बैठक में सीफार के अधिकारियों सहित 19 जिलों के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी भी मौजूद रहे।
फाइलेरिया के लक्षणः आमतौर पर फाइलेरिया के कोई लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते। हालांकि बुखार, बदन में खुजली और पुरुषों के जननांग और उसके आस-पास दर्द व सूजन की समस्या होती है। इसके अलावा पैरों और हाथों में सूजन, हाइड्रोसिल (अंडकोषों की सूजन) भी फाइलेरिया के लक्षण हैं।
इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथीपांव कहा जाता है। महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।