UP News: यूपी के दस जिलों में फाइलेरिया का प्रकोप अधिक, खिलाई जाएगी अतिरिक्त दवा
उत्तर प्रदेश में 10 अगस्त से 27 जिलों में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए दवा खिलाने का अभियान शुरू होगा। 10 जिलों में विशेष अभियान के तहत तीन दवाएं दी जाएंगी क्योंकि यहाँ संक्रमण अधिक है। राज्य मलेरिया अधिकारी के अनुसार वर्तमान में 51 जिले प्रभावित हैं। यह बीमारी क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है और लाइलाज है इसलिए दवा का सेवन ही बचाव है।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश में 10 अगस्त से 27 जिलों में फाइलेरिया (हाथी पांव) उन्मूलन के लिए दवा खिलाने का अभियान चलेगा। इस अभियान में 10 जिले ऐसे हैं, जहां सर्वेक्षण में फाइलेरिया के संक्रमण अधिक मिला है। ऐसे जिलों में स्वास्थ्य विभाग विशेष अभियान के तहत एल्बेंडाजोल, डीईसी के साथ एक अतिरिक्त दवा आइवरमेक्टिन भी खिलाएगा।
राज्य मलेरिया अधिकारी डा. एके चौधरी ने बताया कि फाइलेरिया से वर्तमान में प्रदेश के 51 जिले प्रभावित हैं। इनमें से 24 जिलों में 10 फरवरी और 27 जिलों में 10 अगस्त से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए दवा खिलाने का अभियान चलता है।
किस जिले में कितनी दवा खिलानी है ये उस जिले में फाइलेरिया के मरीज, सर्वे में मिले संक्रमित लोगों, वहां की कितनी जनसंख्या ने अब तक अभियान के दौरान दवा खाई, उसके अनुसार तय किया जाता है। इस बार 10 जिलों के 92 ब्लाक में तीन दवाएं खिलाई जाएंगी।
10 जिले जहां खिलाई जाएंगी तीन दवाएं
कानपुर नगर, कानपुर देहात, हरदोई, लखीमपुर खीरी, रायबरेली, सीतापुर, फतेहपुर, कौशांबी, चंदौली, मीरजापुर
इन जिलों में खिलाई जाएगी दो दवाएं
औरैया, बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, देवरिया, इटावा, फर्रुखाबाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, हरदोई, कन्नौज, महाराजगंज, संतकबीरनगर, सिद्धार्थ नगर, श्रावस्ती, सुलतानपुर
कैसे होती है बीमारी
ये बीमारी फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। संक्रमित मच्छर के काटने के 10 से 15 साल में इस रोग के लक्षण प्रकट होते हैं। इसमें हाथ, पैर, स्तन या अंडकोष में सूजन आ जाती है। पेशाब के साथ सफेद रंग के द्रव (काइल्यूरिया) का स्राव भी होता है।
इसके अलावा, लंबे समय से सूखी खांसी आने की शिकायत भी हो जाती है। ये लाइलाज बीमारी है, इसलिए इससे बचने का उपाय सिर्फ फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन ही है।
इसलिए सरकार प्रभावित जिलों में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) अभियान चलाती है। फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए विशेष रूप से रात को खून की जांच (नाइट ब्लड सर्वे) किया जाता है। इस जांच में फाइलेरिया के कीटाणु की पहचान की जाती है।
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