Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उर्दू के नामचीन शायर अनवर जलालपुरी का इंतकाल

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 02 Jan 2018 12:25 PM (IST)

    अनवर जलालपुरी का आज लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में निधन हो गया। उनको बीते गुरुवार को ब्रेन स्ट्रोक के बाद भर्ती कराया गया था।

    उर्दू के नामचीन शायर अनवर जलालपुरी का इंतकाल

    लखनऊ (जेएनएन)। यश भारती से सम्मानित विख्यात शायर अनवर जलालपुरी का आज लखनऊ की किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में निधन हो गया। उनको बीते गुरुवार को ब्रेन स्ट्रोक के बाद भर्ती कराया गया था। 

    मशहूर उर्दू शायर अनवर जलालपुरी ने श्रीमदभागवत गीता का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार अनवर जलालपुरी मुशायरों की निजामत के बादशाह थे।

    ब्रेन स्ट्रोक के बाद उनकी तबीयत लगातार खराब बनी थी। वेंटीलेटर पर उनकी देखरेख हो रही थी। आज दिन में करीब 10:30 बजे उनको हार्ट अटैक भी पड़ा। डाक्टर्स ने काफी प्रयास किया, लेकिन उनको नहीं बचा सके। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है। 28 दिसंबर की रात 1 बजे ब्रेन स्ट्रोक के चलते किये गए थे भर्ती। उन्हें चेस्ट में इंफेक्शन भी हो गया था। इलाज कर रहे डॉ वेदप्रकाश ने बताया कि सुबह 10:30 बजे उनकी मौत हो गयी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नामचीन शायर अनवर जलालपुरी को ब्रेन स्ट्रोक के बाद गंभीर हालत में केजीएमयू के ट्रामा सेंटर के न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट में एडमिट कराया गया। शाम को बाथरूम में गिरने कि वजह से वह गंभीर रूप से घायल हो गये थे। उनकी हालात नाजुक बनी थी। उनको वेंटीलेटर पर रखा गया था। 

    जिस दिन उनको केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था, तभी से डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा के कार्यालय से भी पल-पल की जानकारी ली जाती रही।

    हुसैनगंज निवासी उर्दू शायर अनवर जलालपुरी गुरुवार को अपने करीबी परिजन के शोक समारोह से लौटे थे। छोटे बेटे डा. जानिसार जलालपुरी ने बताया कि शाम करीब 6 बजे वे घर पहुंचने के बाद स्नान आदि करने बाथरूम गये। जब करीब आधे-पौने घंटे तक वे बाहर नहीं निकले तो उन्हें आवाज लगाई। मदद के लिये दबी-दबी सी आवाज आने पर जब उन्हें दरवाजा तोड़कर बाहर निकाला तो वे फर्श पर पड़े हुये थे और उनके सिर से खून बह रहा था। आनन-फानन में उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनके दिमाग में अंदरूनी चोटों के चलते सीटी स्कैन आदि के लिये दूसरे निजी अस्पताल ले जाया गया।

    श्रीमदभागवत गीता का उर्दू शायरी में अनुवाद करने वाले 71 वर्षीय नामचीन उर्दू शायर को प्रदेश सरकार यश भारती से भी नवाज चुकी है।

    गीता के श्लोकों का उर्दू में अनुवाद करने वाले शायर अनवर जलालपुरी 

     

    धृतराष्ट्र आंखों से महरूम थे

    मगर ये न समझो कि मासूम थे

    उन्हें भी थी ख्वाहिश कि दुनिया है क्या

    अंधेरा है क्या और उजाला है क्या

    वो एक शख्स संजय पड़ा जिसका नाम

    वही उनसे आखिर हुआ हमकलाम

    उसे रब ने ऐसी नजर बख्श दी

    कि बिन देखे हर एक शै देख ली

    धृतराष्ट्र राजा भी थे बाप भी

    समझते थे वो पुण्य भी पाप भी

    मुहब्बत में बेटों की सरशार थे

    अजब ही तरह के वो किरदार थे

    उन्हें थी ये ख्वाहिश की सब जान लें

    सभी लड़ने वालों को पहचान लें

    कहानी जो संजय सुनाता रहा

    है मैदान में क्या बताता रहा

    वो मैदान जो था जंग ही के लिए

    वहीं से जले धर्म के भी दीए

    ये गीता के श्लोकों का उर्दू अनुवाद है। जो मशहूर शायर अनवर जलालपुरी ने किया है। इस तरह से उन्होंने करीब 700 श्लोकों का 1761 शेरों में भावानुवाद किया गया है। जलालपुरी ने कहा कि हम एक-दूसरे के नजदीक तभी आएंगे जब अपने पड़ोसी के धर्म, उसकी भाषा और तहजीब को समझेंगे।

    इस तरह हुई शुरुआत

    करीब 35 साल पहले 1982 में गीता पर पीएचडी का रजिस्ट्रेशन कराया था। जब अध्ययन करना शुरू किया तो लगा कि ये विषय बहुत बड़ा है। शायद मैं इसके साथ न्याय न कर सकूं। चूंकि मैं कवि था इसलिए इसके श्लोकों का उर्दू में पद्य के रूप में अनुवाद करने की कोशिश करने लगा। पहले तो ये काम बहुत धीमी गति से चला मगर पिछले 10 सालों में इसमें खासी तेजी आई और करीब तीन साल पहले ये काम मुकम्मल हो गया। इस उर्दू गीता को नामवर गायक अनूप जलोटा गा रहे हैं। जिसकी महज 20 प्रतिशत रिकॉर्डिंग ही शेष बची है। इसके बाद हमारा दुनिया के 20-22 इस्लामी देशों में गीता का पैगाम पहुंचाने का मिशन है। पाकिस्तान में गीता गाकर जलोटा जी ने इसकी शुरुआत कर दी है।

    दार्शनिक रोशनी के साथ साहित्यिक चाशनी से युक्त गीता

    अनवर बताते हैं कि साहित्य, दर्शन और धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन करना शुरू से मेरी आदत में शुमार था। गीता मुझे इसलिए अच्छी लगी क्योंकि इसमें दार्शनिक रोशनी के साथ साहित्यिक चाशनी भी है। इसकी तर्जुमानी के दौरान मैंने महसूस किया कि दुनिया की तमाम बड़ी किताबों में तकरीबन एक ही जैसा इंसानियत का पैगाम है।

    पूरी गीता पढ़ने के बाद मैंने करीब 100 ऐसी बातें खोज निकाली हैं जो कुरान और हदीस की हिदायतों से बहुत मिलती-जुलती हैं। मतलब साफ है कि अपने वक्त की आध्यात्मिक ऊंचाई पर रही शख्सियतों की सोच तकरीबन एक जैसी ही है। हम जिस मिले-जुले समाज में रह रहे हैं उसमें एक-दूसरे को समझने की जरूरत है। मगर दिक्कत ये है कि हम समझाने की कोशिश तो करते हैं मगर सामने वाले वो बात समझना नहीं चाहते हैं।