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    गुमनामी बाबा के बक्से में मिली सुभाष चंद्र बोस की फैमिली फोटो, रहस्य गहराया

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Tue, 15 Mar 2016 06:55 PM (IST)

    फैजाबाद जिले में गुमनामी बाबा सामानों में आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फैमिली फोटो मिली है। इस फैमिली फोटो के मिलते ही रहस्य और गहराया गया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही व्यक्ति थे।

    लखनऊ। फैजाबाद जिले में गुमनामी बाबा सामानों में आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की फैमिली फोटो मिली है। इस फैमिली फोटो के मिलते ही रहस्य और गहराया गया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही व्यक्ति थे।

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    गुमनामी बाबा के आज जब 26वें व अंतिम बक्से को खोला गया तो उसमें से नेता जी सुभाष चंद्र बोस के पिता जानकी नाथ बोस व माता प्रभावती बोस की फोटो मिली। गुमनामी बाबा का आज 26वां और आखिरी बक्सा खोला गया। बक्से के खुलते ही यह रहस्य और गहरा गया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा एक ही व्यक्ति थे। आज 26वें बक्से में नेताजी की फैमिली फोटो मिली जिसमें नेताजी माता-पिता और परिवार के लोगों के साथ हैं। इसके साथ बक्से में पवित्र मोहन राय के लिखे पत्र और टेलीग्राम्स भी मिले हैं।

    इससे पहले के बक्सों में से भी ऐसी चीजें मिली हैं जिनसे संकेत मिलता है कि गुमनामी बाबा और कोई नहीं नेताजी ही थे। दूरबीन, जर्मनी मेड टाइपराइटर के साथ कुछ पत्र भी मिले हैं, जिनमें आरएसएस संचालक गोलवरकर जी का एक पत्र भी शामिल है। अगर यह सच है तो भारत सरकार के गठित दो आयोगों को भी यह पता क्यों नहीं चल सका कि नेताजी की मृत्यु ताइवान विमान हादसे में नहीं हुई थी। गौरतलब है 18 अगस्त 1945 को ताईवान में हुए विमान हादसे में नेताजी की मृत्यु हो गई थी। भारत सरकार भी यही मानती है, लेकिन उनके परिजन और करीबियों का मानना है कि नेताजी की मृत्यु विमान हादसे में नहीं हुई थी।

    गुमनामी बाबा और उनके नेताजी होने की कहानी काफी पुरानी है। लोगों का मानना है कि आजादी के बाद नेताजी ने गुमनामी बाबा का रूप धर लिया और फैजाबाद के सरयू तट पर रहने लगे। 18 सितम्बर 1985 को गुमनामी बाबा की मृत्यु के बाद वहीं पर उनकी समाधि भी बना दी गई। उनके समाधी पर जो जन्मतिथि लिखी है वह नेताजी की है यानी 23 जनवरी 1897। इसके बाद तो लोगों ने यह मान लिया कि गुमनामी बाबा ही नेताजी थे, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुखर्जी आयोग ने भी यही माना था कि नेताजी की मौत विमान हादसे में हुई थी।

    अब जब इलाहबाद हाईकोर्ट के निर्देश के बाद मुखर्जी आयोग गुमनामी बाबा के बक्सों की जांच कर रहा है तो यह खुलासे होना काफी चौंकाने वाला है। इससे 11 मार्च को मुखर्जी आयोग से जुड़ी पेटियां खुलीं तो और कई ऐसे सुबूत सामने आए, जो नेता जी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ते हैं। बक्से से आजाद हिद फौज की खुफिया इकाई के मुखिया पवित्र मोहन राय की वंशावली भी मिली है।