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    एससी/ एसटी एक्ट का झूठा मुकदमा लिखवाना युवती को पड़ा भारी, कोर्ट ने सुनाई तीन साल की सजा

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 02:46 PM (IST)

    एक युवती को एससी/एसटी एक्ट के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कराने के आरोप में अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई है। युवती ने एक व्यक्ति पर दुर्व्यवहार और जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने का झूठा आरोप लगाया था। जांच में आरोप झूठे पाए गए, जिसके बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया। यह मामला झूठे आरोप लगाने के गंभीर परिणामों को दर्शाता है।

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    कोर्ट ने जिलाधिकारी लखनऊ से कहा कि अगर राहत राशि दी गई तो वापस ली जाए। 

    विधि संवाददाता, जागरण लखनऊ। एससी/ एसटी एक्ट का दुरुपयोग कर झूठे मुकदमे में फंसाने का एक और मामला सामने आया है। पूर्व में भी कोर्ट झूठे मुकदमा दर्ज कराने वालों को सजा दे चुकी है। नए मामले में भारतीय किसान यूनियन की गुटबाजी में विपक्षी लोगों पर एसटी/ एससी की धाराओं में मुकदमा लिखाना लखनऊ के माल गांव निवासी ममता को महंगा पड़ गया। ममता ने उन पर छेड़छाड़ और चेन लूट का भी मुकदमा लिखाया था। विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी (एससी एसटी एक्ट) ने झूठा मुकदमा लिखाने वाली ममता को भारतीय दंड संहिता की धारा 182 के तहत छह माह और धारा 211 के तहत तीन साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई है। दोनों ही सजा साथ-साथ चलेंगी। कोर्ट ने जिलाधिकारी से कहा है कि अगर महिला को किसी प्रकार की राहत राशि दी गई हो तो उसे तत्काल वापस ले लिया जाए।

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    न्यायाधीश ने कहा कि विधायिका का उद्देश्य यह नहीं रहा कि झूठे मुकदमों में फंसाने वाले शरारती तत्वों को राहत राशि दी जाए। ऐसे मामलों में नियंत्रण लगाने की जरुरत है, जिसमे झूठे मुकदमे में फंसाकर सरकार राहत ली जाए। कोर्ट ने एससी एसटी अत्याचार निवारण नियमावली 1995 की व्याख्या करते हुए लखनऊ के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि आगे भी किसी मामले में राहत की संपूर्ण राशि तब दी जाए, जब आरोप पत्र दाखिल हो जाए और मामला प्रथम दृष्टया सिद्ध हो। सिर्फ मुकदमा दर्ज होने भर में राहत राशि दस से पचीस प्रतिशत न दी जाए। कोर्ट ने कहा कि मुकदमा दर्ज होने पर राहत राशि दिए जाने से मुकदमों की संख्या में वृद्धि हो जाएगी।

    न्यायालय ने अपने निर्णय में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसानों के हितों के नाम पर, भारतीय किसान यूनियन के नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बाद किसान यूनियन कई गुटों मे बट गया है, जिसके चलते एक गुट दूसरे गुट से रंजिश रखते है। इसी कारण एक दूसरे पर फर्जी मुकदमें दर्ज करवा रहे है। अभियोजन पक्ष के अनुसार वादिनी ममता ने विपक्षी गुट के किसान नेता अर्जुन, विनोद कुमार व केशन के विरुद्ध तीन अप्रैल 2019 को थाना माल मे लूट व एससी/एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज करवाया था।

    विवेचना के दौरान जानकारी मिली कि ममता ने भारतीय किसान यूनियन के लोकतांत्रिक गुट के तहसील अध्यक्ष विष्णु पाल के कहने पर यह मुकदमा लिखवाया था। इससे पूर्व विष्णु पाल व अन्य के विरुद्ध विपक्षी गुट के किसान नेता अर्जुन सिंह गुट की महिला कार्यकर्ता आरती ने दहेज प्रथा, मारपीट व जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज करवाया था। इसी की रंजिश के चलते दोषी महिला ने पेशबंदी कर ये फर्जी मुकदमा दर्ज कराया।

    विवेचना के दौरान घटना से जुड़े स्वतंत्र गवाहो ने भी बताया कि घटना न केवल फर्जी है, बल्कि केवल रंजिशवश दर्ज कराई गई है। इसके बाद मुकदमे के विवेचक क्षेत्राधिकारी माल शेषमणि पाठक द्वारा मामले को समाप्त कर न्यायालय में अपनी रिपोर्ट भेज दी। साथ ही फर्जी मुकदमा दर्ज कराने की दोषी ममता के विरुद्ध परिवाद दर्ज कर कार्यवाही कराने का प्रार्थना पत्र दिया गया। जिसके बाद न्यायालय के अदेश पर मुकदमा दर्ज कर वाद का विचारण कर सजा सुनाई गयी।