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    Free Ration: यूपी के लोगों का कभी भी कैंसिल हो सकता है फ्री राशन, शोध अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले फेक्ट्स

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 05:30 AM (IST)

    लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध में खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश में अपात्र लोग फर्जी राशन कार्ड बनवाकर मुफ्त राशन का लाभ उठा रहे हैं, जबकि कई पात्र लाभार्थी वंचित हैं। प्रयागराज, सीतापुर, बरेली और झांसी में किए गए अध्ययन में पाया गया कि अपात्रों ने विभिन्न हथकंडे अपनाए। लाभार्थियों ने राशन कटौती की भी शिकायत की। शोध में लाभार्थी डेटा अद्यतन करने और शिकायत निवारण प्रणाली को मजबूत करने का सुझाव दिया गया है।

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    जागरण संवाददाता, लखनऊ। सरकार की सख्ती के बाद भी तमाम अपात्र लोग फ्री राशन की सुविधा ले रहे हैं। पर्याप्त जमीन, ट्रैक्टर सहित अन्य सुविधाएं होने के बाद भी फर्जी तरीके से राशनकार्ड बनवा रखा है। वहीं, कई पात्र लाभार्थियों को तकनीकी और प्रशासनिक आधार पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली से गलत तरीके से बाहर कर दिया गया।

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    लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग की प्रोफेसर रोली मिश्रा व शोधार्थी अंकित उपाध्याय की ओर से नवंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच प्रदेश के चार जिलों में किए गए शोध अध्ययन में ये तथ्य सामने आए हैं। यह शोध पत्र इकोनामिक एंड पालिटिकल वीकली में प्रकाशित हुआ है।

    प्रोफेसर रोली मिश्रा ने बताया कि वर्तमान सार्वजनिक वितरण प्रणाली कितनी समावेशी है? ग्रामीण उत्तर प्रदेश से साक्ष्य शीर्षक से शोध अध्ययन के लिए प्रयागराज, सीतापुर, बरेली और झांसी का चयन किया गया। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक सर्वेक्षण कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की संरचनात्मक कमियों का विश्लेषण गया।

    शोधार्थी अंकित उपाध्याय ने बताया कि चारों जिलों के ग्रामीण क्षेत्र से 75-75 लाभार्थियों से बात की गई। उनसे राशन कार्ड बनने, कितने वर्षों से लाभ ले रहे ? कौन सा राशन कार्ड है ? चावल और गेहूं की गुणवत्ता कैसी है ? आदि सवाल पूछे गए।

    सरकारी सेवा से रिटायर फिर भी राशनकार्ड

    अध्ययन में पाया गया कि तीन से पांच प्रतिशत अपात्र व्यक्तियों ने राशन लाभ पाने के लिए विभिन्न हथकंडे अपनाए, जैसे मृत रिश्तेदारों के नाम पर वाहन पंजीकरण, भूमि स्वामित्व रिकार्ड में हेरफेर और आय प्रमाणपत्रों की जालसाजी। कई ऐसे मिले जो सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद भी राशनकार्ड बनवाकर लाभ ले रहे। वहीं, यह भी पाया कि कई पात्र लाभार्थियों को तकनीकी और प्रशासनिक आधार पर पीडीएस से अनुचित रूप से बाहर किया गया। ऐसी समस्याएं विशेष रूप से सीतापुर और बरेली के गांवों में प्रमुख थीं।

    कोटेदार कर रहे दो-तीन किलो राशन की कटौती

    रिपोर्ट के अनुसार चयनित जिलों के 89 से 90 प्रतिशत लाभार्थियों ने बताया कि राशन वितरण के दौरान कोटेदारों की ओर से प्रति कार्ड दो से तीन किलो राशन की कटौती की गई। जब उनसे शिकायत न करने का कारण पूछा गया, तो एक कार्डधारक ने उत्तर दिया, इनसे दुश्मनी कौन मोल ले? यह प्रतिक्रिया डर और प्रतिशोध की भावना को दर्शाती है। वहीं, कुछ लोगों ने चावल बहुत मोटा दिए जाने की बात कही।

    दिए गए सुझाव

    2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर लाभार्थी डेटा को अद्यतन किया जाए, उचित मूल्य की दुकानों पर सीसी कैमरे लगाए जाएं। लाभार्थी शिकायत निवारण प्रणालियों को आफलाइन मोड में पुनः स्थापित किया जाए।